– सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी व बुजुर्गों के की 1971 जैसी कार्रवाई की वकालत प्रतिनिधि, कटिहार पाक अधिकृत कश्मीर व अन्य स्थानों पर में भारतीय सेना की ओर से पाक समर्थित आतंकियों के ठिकाने को ध्वस्त किये जाने की कार्रवाई को सराहा जा रहा है. भारतीय सेना की इस कार्रवाई को न केवल पूरा समाज इसकी सराहना कर रही है. बल्कि सेना से रिटायर हो चुके लोग भी इस कार्रवाई को सही बता रहे है. प्रभात खबर ने बुधवार को रिटायर सैनिकों व कुछ बुजुर्गों से बातचीत की. बातचीत के दौरान रिटायर सैनिकों व बुजुर्गों ने सेना की ओर से किये गये स्ट्राइक की जैसी कार्रवाई को आतंकवादियों के खात्मे के लिए जरूरी बताया. यह भी कहा कि सेना को पूरी छूट देनी चाहिए. सेना को सैना को अगर छूट मिले तो आतंकवादियों का सफाया हो जायेगा. सेना को मिले काम करने की छूट: उदयानंद फोटो 13 कैप्शन- उदयानन्द झा सेवानिवृत सैन्य अधिकारी सूबेदार मेजर उदयानन्द झा श्रीलंका में बढी आतंकी गतिविधियो को लेकर भारत से भेजी गयी शान्ति सेना का प्रतिनिधित्व किया था. पहलगाम में आतंकी हमले के बाद मंगलवार की रात को भारतीय सेना की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर व अन्य स्थानों में आतंकी ठिकानों पर किए गये हमला की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देशवासियों व राजनीतिक दलों से एक स्वर में इस कार्रवाई की प्रशंसा करने की वकालत की है. बातचीत में कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमला के बाद से ही पूरी दुनिया की नजर भारतीय सेना की कार्रवाई पर लगी थी. जिसे उसने अपने अंदाज में अंजाम दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सेना को अपने तरीके से काम करने की छूट मिलनी चाहिए. सेना को जितनी सुविधा सरकार की ओर से मिलती है. सेना उससे कई गुणा अधिक देश को देती आयी है. सैनिकों के परिवार को सुरक्षा देने, उनके बच्चो की शिक्षा की व्यवस्था करने और उनके परेशानियों के तुरत निदान की व्यवस्था करने की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर सरकार को करना चाहिए. पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत: सोनेलाल फोटो 14 कैप्शन- सोनेलाल प्रसाद जिले के नवादा मलिक टोला के सेवानिवृत्त सेना नायक सोनेलाल प्रसाद ने कहा कि पहलगाम के आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना के द्वारा की गयी कार्रवाई सराहनीय है. पूरा देश इसी तरह की कार्रवाई का उम्मीद कर रही थी. पाकिस्तान का मन काफी बढ़ा हुआ था. इंदिरा गांधी के समय 1971 में पाकिस्तान को सबक सिखाया गया था. उसके बाद कोई मजबूत नेतृत्व देश को नहीं मिला. जिसके वजह से पाकिस्तान की मनमानी बढ़ती गयी. पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोग पाकिस्तान पर कार्रवाई की अपेक्षा करता है. जिस तरह पाक अधिकृत कश्मीर व पाकिस्तान में भारतीय सैनिकों ने आतंकवादियों के ठिकानों को ध्वस्त किया तथा बड़ी तादाद में आतंकवादी को मार गिराया है. वह निश्चित रूप से सराहनीय कदम है. यह सही बात है कि सेना के जवानों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है. पूर्व की सरकारों ने सेना की सुविधा को लेकर विशेष ध्यान नहीं दिया. वर्तमान सरकार सेना को लेकर थोड़ा संजीदा है. सेना को कई तरह की सुविधा भी दिए तथा छूट भी दी है. आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत: रामानंद फोटो 15 कैप्शन- रामानंद झा उर्फ रवि झा पूर्व सरपंच व 90 वर्षीय रामानंद झा उर्फ रवि झा ने बातचीत में कहा कि जिस तरह पाकिस्तान आतंकवादियों को बढ़ावा दे रहा है तथा कश्मीर व अन्य इलाके में भारतीय सैनिक को टारगेट कर रहा है. उससे उनका भी खून खौल जाता है. बातचीत में वह कहते हैं कि वर्ष 1971 में जिस तरह इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को सबक सिखाया और उसे दो टुकड़ा करते हुए बांग्लादेश बनाया. इसी तरह की कार्रवाई की जरूरत है. उस दौरान भी पूरा देश इंदिरा गांधी के साथ खड़ा था. उस दौरान भी युद्ध के समय लोगों को थोड़ी परेशानी हुई थी. उसके बाद पूरा देश एक साथ खड़ा था. आज आतंकवाद के खिलाफ होनेवाली कार्रवाई में सब एक साथ खड़ा है. पाकिस्तान को उसकी औकात बताना जरूरी: सुबोध फोटो 16 कैप्शन- सुबोध विश्वास सेना की ओर पाक समर्थित आतंकी ठिकानों पर किए गए हमले की सराहना करते हुए 85 वर्षीय सुबोध विश्वास ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 1971 में पाकिस्तान को सबक सिखाया था. उस समय भी अभी के जैसे हालात नहीं थे. मौजूदा दौर में जिस तरह की सुविधा एवं हाईटेक व्यवस्था है. वैसी व्यवस्था उसे समय नहीं थी. उसके बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दुनिया का परवाह किए बगैर अपने मजबूत नेतृत्व के बल पर पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर सबक सिखाया और उस मुल्क को विभाजित करते हुए बांग्लादेश को अस्तित्व को लाया. यह अलग बात है कि उस समय हुए युद्ध के दौरान लोगों को थोड़ी परेशानी जल्दी पड़ी थी. उसके बावजूद पूरा देश एकजुटता के साथ सरकार के खड़ा था.
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