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गुरुतेग बहादुर की 404 वां तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव मना

गुरुतेग बहादुर की 404 वां तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव मना

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श्रृष्टि की चादर गुरुतेग बहादुर महाराज की पावन धरती कांतनगरवासी धन्य हुए बरारी प्रखंड के श्रीगुरु तेग बहादुर एतिहासिक गुरुद्वारा कांतनगर में खालसा पंथ के नौंवे गुरु श्रीगुरु तेग बहादुर जी महाराज की 404 वां तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव पर शुक्रवार को अखंड पाठ एवं अरदास किया. दिन के दस बज श्रीगुरुग्रंथ साहिब जी महाराज का अखंड पाठ की समाप्ति उपरांत भव्य पंडाल में श्रीगुर ग्रंथ साहिब की हजुरी में सजे दीवान में कलकत्ता से आये हजुरी राज्ञी जत्था भाई सतवीर सिंह ने दशम पातशाही गुरु तेग बहादुर जी की मधुर गुरुवाणी खूब खूब तेरो नाम .झूठ झूठ दुनियां गुमान वाणी का श्रवण करा संगतो को निहाल किया. तख्त हरिमंदर जी पटना साहिब के धर्म प्रचारक कथा वाचक भाई गगनदीप सिंह ने साहिब श्रीगुरु तेग बहादुर श्री महाराज की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जरा अन्तर आत्मा से याद करो कान्तनगर की पावन धरती पर जब गुरु साहिब बैठे होंगे वह समां कैसा होगा. वह दृश्य कैसा होगा. संगतों संग बैठ उन्होंने जो संदेश दिया होगा उन्हें आज इस पावन घरती पर हम गुरु की याद में बैठे वाणी का श्रवण कर रहे कितना सुकुन मिलता हैं. राजी जत्था भाई मलकीत सिंह ने संता कै कारज आप खलोइया गुरुवाणी का श्रवण करा संतग निहाल हुई. सन 1666 में गंगा नदी के मार्ग से प्रथम गुरु नानक देव जी व नौंवी पातशाही गुरु तेग बहादुर जी महाराज का कान्तनगर भवानीपुर में संगतों के बीच सतसंग किये. सारा दिन तीन दिवसीय गुरुपर्व में संगतों ने वाणी श्रवण कर निहाल हुई. तख्त हरि मंदर जी पटना साहिब गुरुद्वारा के ग्रंथी भाई भजन सिंह ने मानव कल्याण अरदास कर अरदास कर कढ़ाह प्रसाद वितरण कर गुरु का लंगर प्रारंभ हुआ. गुरुपर्व में विधायक विजय सिंह निषाद, राजीव भारती, जामुन यादव, गुरु की सेवक कुरसेला निवासी अखिलेश यादव, रिंकी देवी, प्रधान अमरजीत सिंह, सेन्ट्रल सिख वेलफेयर सोसाईटी चेयरमैन गोविंद सिंह, मुखिया उमाकांत सिंह, शंकर यादव, प्रेमचंद साह, सुभाष कुमार, अवध सिंह, कमल सिंह, इन्द्र जीत सिंह, ज्योतिष सिंह, अजय सिंह, माया सिंह, नीलम कौर ने शीश नवाया. प्रबंधक कमिटि के प्रधान सरदार त्रिलोक सिंह, महासचिव प्रभु सिंह, उप प्रधान कमल सिंह , सचिव सत्यदेव सिंह, कोषाध्यक्ष रविन्दर सिंह, बलवंत सिंह, भजन सिंह ने बताया कि नौंवे गुरु तेग बहादुर जी महाराज सन 1666 में गंगा नदी मार्ग से असम यात्रा के दौरान कान्तगर में ठहरे शिष्यों को छोड़ गये. गुरु साहिब की पवित्र भूमि कांतनगर गुरुद्वारा विराजमान हैं .

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