सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को खर्च करना पड़ रहा अधिक रुपये कटिहार सदर अस्पताल में मरीजों को दवाइयों की संख्या पहले की अपेक्षा काफी बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान की बात करें तो सदर अस्पताल में ओपीडी में मरीजो के लिए 238 किस्म की दवाई उपलब्ध है. इतनी तादाद में दवाई रहने के बावजूद भी मरीज को बाहर निजी मेडिकल स्टोर में दवाई खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इसके भी तीन कारण है एक तो सदर अस्पताल में चिकित्सक द्वारा लिखे गये दवाई में एमजी को लेकर यानी की दवाई की पावर को लेकर कुछ डिफरेंट आती है. जिसको लेकर मरीज को कुछ दवाई बाहर खरीदारी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, या तो कुछ ऐसे भी दवाई है जो अस्पताल में मौजूद नहीं है. जिसकी खरीदारी बाहर करनी पड़ती है. इससे भी सबसे बड़ा कारण बिचौलिए के चंगुल में फंसकर मरीज दवाई बाहर खरीदारी करने के लिए मजबूर हो जाते है. मंगलवार को भी अपना इलाज करने पहुंचे कई मरीजों को बाहर दवाई खरीदनी पड़ी. तेजा टोला के रहने वाले रुदल राय की तबीयत खराब होने पर उन्हें छह किस्म की दवाई अस्पताल के चिकित्सक ने लिखी थी. जिसमें की पांच दवाई तो अस्पताल में मिल गयी. लेकिन एक दवाई उन्हें बाहर खरीदने के लिए कहा गया. दरअसल इस दवाई में डोलो 625 एमजी की दवाई बाहर खरीदने के लिए कहा गया था. जबकि यह दवाई अस्पताल में 500 एमजी के रूप में उपलब्ध थी. एमजी के बढ़ने के कारण उन्हें बाहर खरीदारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा गौशाला के रहने वाली माला देवी को मल्टीविटामिन की दवाई बाहर खरीदारी करनी पड़ी. हालांकि पहले की वनस्पति मरीज को कम संख्या में बाहर में दवाई खरीदनी पड़ती है. लेकिन अभी भी शत प्रतिशत दवाई सदर अस्पताल में मौजूद नहीं है. बिचोलिया पर नहीं लग पाता है लगाम सदर अस्पताल में गरीब मरीजों को बहला कर उन्हें ठगने के लिए कई बिचौलिए सक्रिय है. कभी जांच के नाम पर तो कभी दवाई के नाम पर हमेशा मरीजों को बिचौलिए अपने जाल में फंसा कर उनके अच्छे खासे पैसे बाहर निजी जांच में और दवाई में लुटवा देते हैं. इसके एवज में उन्हें अच्छी खासी कमीशन बाहर से मिल जाती है. हालांकि इस मामले में सदर अस्पताल प्रशासन इस पर लगाम लगाने में हमेशा असफल रहा है. सदर अस्पताल के बाहर सदर अस्पताल के प्रीपकेशन पर कई मरीज बाहर भी दवाई खरीदारी करते हैं. इसमें सबसे बड़ी भूमिका बिचौलिया की होती है जो खास करके ग्रामीण सुदूर इलाके के आने वाले मरीज को अस्पताल में फांस लेते हैं. उन्हें बाहर निजी पैथोलॉजी लैब में जांच कराने और शरीर को लाभ पहुंचाने वाले कई विटामिन और दवाई का हवाला देकर बाहर दवाई खरीदारी कराते है. हालांकि बीच-बीच में अस्पताल प्रशासन के द्वारा ऐसे बिचौलियों के पर लगाम लगाने के लिए एक्शन लिया जाता है. लेकिन कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण सभी फिर सक्रिय हो जाते हैं.
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