कोढ़ा आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल देने की दिशा में आईटीबीपी की 48वीं वाहिनी शिशिया कैंप, कोढ़ा में एक अभिनव पहल की गयी है. यहां कुल 166 पदाधिकारियों को मधुमक्खी पालन का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया. जिससे वे स्वरोजगार की दिशा में भी सशक्त बन सकें. यह प्रशिक्षण एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत आयोजित किया गया. जिसका उद्देश्य जवानों को अतिरिक्त आय के स्रोत उपलब्ध कराना और स्थानीय समुदायों में कृषि आधारित स्वरोजगार को बढ़ावा देना है. आईटीबीपी के कमांडेंट रविन्द्र कुमार के नेतृत्व में पहले चरण में 27 अधिकारियों को कृषि विज्ञान केंद्र, कटिहार में विशेष प्रशिक्षण देकर मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार किया गया. इन मास्टर ट्रेनर्स ने ही वाहिनी परिसर में अन्य 139 जवानों तथा 16 स्थानीय ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी दी. कमांडेंट रविन्द्र कुमार ने बताया कि मधुमक्खी पालन एक कम लागत वाला, लेकिन अधिक लाभ देने वाला उद्यम है. इससे न केवल शुद्ध शहद का उत्पादन होता है. बल्कि परागण की प्रक्रिया में सहायता मिलने से किसानों की फसल उपज भी बढ़ती है. यह प्रशिक्षण न केवल स्वरोजगार को प्रोत्साहित करता है. बल्कि जवानों में रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता की भावना भी जागृत करता है.
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