भभुआ शहर. गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है. लेकिन अभी गर्मी अपने शबाब पर भी नहीं आयी है. फिर भी शहर के अधिकतर मुहल्लों में और मुख्य सड़कों के आसपास लगे हैंडपंप जवाब दे चुके हैं. कई मुहल्लों में भी हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं, तो नल जल की भी हालत बेहाल है. शहर का पश्चिमी एरिया तो अभी से ही टापू बनने लगा है. खासकर शहर का कहे जाने वाले हृदय पटेल चौक से लेकर एकता चौक तक एक भी चापाकल चलते हुए नहीं पाया गया. इसको लेकर नगर पर्षद द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. पटेल चौक से लेकर एकता चौक तक तीन प्याऊ टपकते हुए जरूर मिले, लेकिन वहां गंदगियों का अंबार लगा हुआ था. शहर के अधिकतर दुकानदार जयप्रकाश चौक और ब्लॉक मोड़ से साइकिल द्वारा पानी ला रहे है, तब जाकर उनकी प्यास बुझ रही है और दुकान सज रही है तथा अन्य घरेलू कार्य हो रहे है. शहर के एकता चौक निवासी अभिषेक चौरसिया, सोनू फल दुकान ने बताया कि उनके मुहल्ले में अधिकतर हैंडपंप खराब है. लेकिन कोई बनवा नहीं रहा है. शहर का तापमान बढ़ चुका है. शक्ति नगर के राजीव कुमार ने कहा कि मुहल्ले में कई हैंडपंप खराब हैं, लेकिन किसी को कोई चिता नहीं है. आशीष पांडे ने कहा कि सरकारी हैंडपंप काफी दिनों से खराब है, लेकिन जवाबदेह अधिकारी मरम्मत कराने का नाम नहीं ले रहे है. रवि श्रीवास्तव ने कहा कि शहर के मुख्य मार्ग पर कई हैंडपंप खराब हैं. उनके मुहल्ले में हैंडपंप के अलावा नलजल का भी हाल बेहाल है. चकबंदी रोड के अखिलेश उपाध्या, प्रभु प्रसाद, पटेल चौक पर राजू पटेल, प्रताप सिंह, थाना के पास राकेश कुमार, हर्ष यादव, बबलू पान दुकान, राजा राज, इमरान फारुकी सहित अन्य लोगों ने बताया कि पानी की किल्लत है. खासतौर पर राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हम लोगों को प्यास लगी थी तो बंद बोतल का पानी खरीद कर पी रहे है. चापाकल ठीक होने से लोगों को सहूलियत मिल सकती है. इस पर पीएचइडी और नगर पर्षद को ध्यान देने की जरूरत है. =जयप्रकाश चौक व ब्लॉक मोड़ से लाना पड़ रहा पानी दरअसल, गर्मी के सीजन के शुरुआत में ही शहर में पेयजल व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि, शहर के व्यस्तम एकता चौक, कचहरी रोड, जेपी चौक आदि जगहों पर दुकानदारों को शहर में बिक रहे आरओ के पानी को खरीदना पड़ता है. कचहरी मुख्य द्वार के सामने लिट्टी चोखे की दुकान लगाने वाले जगदीश साह, पिंटू केशरी आदि का कहना था कि कचहरी और आसपास में गाड़े गये सभी हैंडपंप मरम्मत के अभाव में जवाब दे चुके हैं. अब पानी के लिए जेपी चौक या ब्लॉक मोड़ तक जाना पड़ता है और साइकिल आदि से पानी लाना पड़ रहा है. पानी की किल्लत से उनकी दुकानदारी प्रभावित हो रही है. इसलिए दुकानदारी चलाने के लिए मजबूरन शहर में बिकनेवाले आरओ का पानी खरीदते हैं. उनका कहना था कि कचहरी रोड में सालों से बनी आ रही पेयजल की समस्या को दूर करने को लेकर उनलोगों द्वारा जनप्रतिनिधियों से लेकर नगर पर्षद के अधिकारियों तक से गुहार लगायी गयी, लेकिन कही सुनवाई नहीं हुई. 80 प्रतिशत लोग चापाकल व सबमर्सिबल के पानी पर निर्भर दरअसल, भभुआ शहर में पानी की किल्लत अब बड़े शहरों जैसी हो गयी है. यहां की आबादी के 80 प्रतिशत लोग अभी भी चापाकल व सबमर्सिबल के पानी पर निर्भर हैं. कहने को तो शहर में 800 से ज्यादा चापाकल पीएचइडी व नगर पर्षद द्वारा लगवाये गये हैं और सभी जगहों पर नलजल का कार्य संपूर्ण कर लिया गया है. लेकिन, धरातल पर देखा जाये तो अभी भी शहर में जलापूर्ति की कोई ठोस योजना नहीं बनायी जा सकी है. इधर, शहर के सार्वजनिक स्थलों पर शुद्ध पानी की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं है. प्रतिदिन विभिन्न जरूरतों के लिए हजारों लोग शहर में आते और जाते हैं. इन्हें शुद्ध पेयजल मिलने की बात तो दूर हैंडपंप का पानी तक नसीब नहीं हो रहा. ऐसे में शहर में आये लोग बोतल बंद पानी पीने को विवश हैं. =सप्लाइ का पानी पीने से घबराते हैं लोग दरअसल, शहर की आबादी और जरूरत को देखते हुए यूं तो पीएचइडी और भभुआ नगर पर्षद ने शहर में विभिन्न स्थानों पर लगभग नौ सौ से ज्यादा हैंडपंप लगवाये है. लेकिन, इनमें कितने लगने के बाद से बेकार पड़े हैं यह विभाग को भी नहीं पता. इसके अलावा नगर पर्षद क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर इंडिया मार्का हैंडपंप भी लगाये गये हैं. लेकिन, मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल, अखलासपुर बस स्टैंड के बाहर, नगर थाना के सामने, कचहरी रोड के अलावा अधिकतर जगहों पर हैंडपंप बंद पड़े हुए है. वैसे, हैंडपंप को छोड़ हर घर नल का जल की बात करे तो अभी भी भभुआ शहर में मुख्यमंत्री के सात निश्चय की यह योजना अभी भी बेहतर नहीं हो पायी हैं. अधिकतर मुहल्लों में वाटर सप्लाई महज ख्वाब बनकर रह गयी है, जहां सप्लाई का पानी पहुंच भी रहा है वहां के लोग इसे पीने से घबराते हैं. क्योंकि उसका रंग और स्वाद स्पष्ट बताता है कि पानी प्रदूषित है. ऐसे में सेहत ठीक रखने का केवल एक ही उपाय है कि खुद ही साफ पानी का प्रबंध करें या फिर बाजार में बिक रहे आरओ के पानी पर पैसे खर्च करें. क्या कहते हैं शहरवासी –राकेश कुमार ने कहा पटेल चौक पर चापाकल बिगड़ने से बहुत परेशानी होती है, ढोकर पानी लाना पड़ता है. -दुकानदार प्रभु प्रसाद ने बताया कि चापाकल बिगड़ा हुआ है, इस पर नगरपालिका का कोई ध्यान नहीं है. अखिलेश उपाध्या ने बताया पीने का पानी घर से या बंद बोतल खरीद कर पीना पड़ता है. इसपर नगरपालिका का कोई ध्यान नहीं है. नगर में लोगों की सुविधा का ध्यान नहीं दिया जाता है.
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