एमडीएम के लिए राशि भी निकाल ली गयी थी
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नियम ताक पर रख एमडीएम का बकाया साढ़े छह लाख किया माफ
एमडीएम के लिए राशि भी निकाल ली गयी थी निरीक्षण पदाधिकारियों की रिपोर्ट पर शिक्षा विभाग ने निकाला था वसूली का आदेश पूव डीईओ का राशि माफ कर देने का आदेश सवालों के घेरे में भभुआ कार्यालय : कैमूर जिले के शिक्षा विभाग में नियम-कानून नाम की भी कोई चीज है, यह कह पाना हालिया […]
निरीक्षण पदाधिकारियों की रिपोर्ट पर शिक्षा विभाग ने निकाला था वसूली का आदेश
पूव डीईओ का राशि माफ कर देने का आदेश सवालों के घेरे में
भभुआ कार्यालय : कैमूर जिले के शिक्षा विभाग में नियम-कानून नाम की भी कोई चीज है, यह कह पाना हालिया दिनों में हो रहे लगातार खुलासे के बाद मुश्किल हो गया है. भगवानपुर प्रखंड में बगैर पद के 38 शिक्षकों की बहाली, डीएलएड परीक्षा में अभ्यर्थियों को नंबर देने में धांधली के खुलासे के बाद अब एक नया मामला उजागर हुआ है. नियम-कानून को ताक पर रख कर विभिन्न स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के ऊपर मध्याह्न भोजन (एमडीएम) की बकाये राशि लगभग साढ़े छह लाख रुपये वसूल करने के बजाय माफ कर दिया गया. 18 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से वसूली की राशि को पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी ने पिछले 22 मई को आदेश निकाल माफ कर दिया है.
दरअसल, शिक्षा विभाग एवं मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर विभिन्न स्कूलों में जांच की जाती है. उसमें जिस स्कूल में छात्रों की वास्तविक उपस्थिति से ज्यादा उपस्थिति दिखा कर एमडीएम की राशि की निकासी की जाती है, निरीक्षी पदाधिकारियों की रिपोर्ट पर विभागीय दिशा निर्देश के मुताबिक उसकी वसूली की जाती है.
वहीं, एमडीएम योजना के निदेशक ने चार नवंबर 15 को एक पत्र जारी कर निर्देशित किया था कि अगर एमडीएम की राशि वसूली के आदेश पर किसी प्रधानाध्यापक को कोई आपत्ति है, तो वह एक महीने के अंदर जिला शिक्षा पदाधिकारी के यहां अपील कर सकता है और जिला शिक्षा पदाधिकारी उक्त अपील पर सुनवाई कर एक महीने के अंदर अपना निर्णय सुनायेंगे. इस आदेश के बाद कैमूर जिले के भी 23 स्कूल के प्रधानाध्यापकों ने वसूली के आदेश को गलत बताते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी के यहां माफी के लिए अपील की थी. लेकिन, खास बात यह कि किसी भी प्रधानाध्यापक द्वारा विभाग से निकले वसूली के आदेश के एक महीने के अंदर जिला शिक्षा पदाधिकारी के यहां अपील नहीं की गयी. इसके अलावे एमडीएम के निदेशक द्वारा जारी किये गये पत्र में स्पष्ट आदेश दिया गया है कि अगर किसी की बकाया राशि को माफ करते हुए दोषमुक्त किया जाता है, तो जिला शिक्षा पदाधिकारी स्पष्ट रूप से कारण को अपने पारित आदेश में लिखेंगे कि वह कैसे दोषी नहीं है. जिन 23 में से 19 स्कूल के लोगों ने वसूली की राशि को माफ करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी के यहां से बीते 16 अप्रैल, 18 अप्रैल एवं 26 अप्रैल को आदेश पारित किया गया, उनमें से किसी भी स्कूल ने वसूली के आदेश के एक महीने के अंदर अपील नहीं की थी. 23 में से चार स्कूलों को छोड़ कर सभी 19 स्कूलों की बकाया राशि को उस समय के प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी सूर्यनारायण द्वारा माफ कर दिया गया है. जिन 19 स्कूल की बकाये राशि को माफ किया गया है, वह साढ़े छह लाख रुपये से ज्यादा की राशि है.
उक्त स्कूलों के ऊपर वसूली के लिए बकाये लाखों रुपये को माफ किये जाने का आदेश सवालों के घेरे में है. खास बात यह कि 23 विद्यालय में निरीक्षण करनेवाले पदाधिकारियों की रिपोर्ट पर विभागीय दिशा-निर्देश के मुताबिक राशि की वसूली का आदेश निकाला गया था, तो आखिर कैसे 19 स्कूलों के निरीक्षण पदाधिकारियों ने वसूली के लिए गलत आदेश निकाल दिया.
जिन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर था बकाया
स्कूल माफ किया गया बकाया
प्रावि नौबाट चांद 35434 रुपये
उमवि मामादेव मोहनिया 37292 रुपये
प्रावि भटानी चांद 61931 रुपये
मवि दहार अधौरा 91747 रुपये
उमवि हरदासपुर कुदरा 24895 रुपये
उमवि भैसौंला कुदरा 42845 रुपये
मवि केवड़ी कुदरा 75708 रुपये
उमवि नेवरास कुदरा 102727 रुपये
प्रावि दहियांव दुर्गावती 8408 रुपये
प्रावि पिपरिया चांद 2162 रुपये
प्रावि बहुआरा चांद 4833 रुपये
उमवि चंडेस नुआंव 85069 रुपये
उमवि मोरथ नुआंव 18095 रुपये
प्रावि सरैला चांद 7208 रुपये
प्रावि शिव चांद 15815 रुपये
उमवि जेवरी दुर्गावती 23701 रुपये
उमवि दुलहरा चैनपुर 10789 रुपये
मवि डिहरा कुदरा 63587 रुपये
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