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बिहार में पुजारी को वेतन देने की मांग पर जीतन राम मांझी ने जतायी असहमति, बोले-ये सही बात नहीं है

बिहार सरकार के मंत्री प्रमोद कुमार के मंदिर के पुजारी को वेतन देने के बयान पर टिप्पणी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि वे उनकी मांग से सहमत नहीं हैं. मठ एवं मंदिर को धार्मिक न्यास बोर्ड से पैसा जाता ही है. ऐसे में पुजारी को सरकार सैलरी दे. ये सही बात नहीं है.

पटना. बिहार में सियासत में एक नयी बहस शुरू हो गयी है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुतानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने मौलवी की तरह पुजारी को वेतन देने की मांग पर असहमति जतायी है. बिहार सरकार के मंत्री प्रमोद कुमार के मंदिर के पुजारी को वेतन देने के बयान पर टिप्पणी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि वे उनकी मांग से सहमत नहीं हैं. मठ एवं मंदिर को धार्मिक न्यास बोर्ड से पैसा जाता ही है. ऐसे में पुजारी को सरकार सैलरी दे. ये सही बात नहीं है.

मांझी को चाहिए राज्यसभा की एक सीट

बिहार की 5 राज्यसभा सीट के लिए होने वाले चुनाव में जीतनराम मांझी ने एक सीट की मांग की है. जीतनराम मांझी की इस मांग के बाद बिहार की सियासत में हलचल होना स्वाभाविक है. दिल्ली पहुंचे जीतनराम मांझी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्यसभा चुनाव में बतौर घटक दल एनडलए को एक सीट उनकी पार्टी को देनी चाहिए. अगर राज्यसभा सीट संभव नहीं हो तो उनकी पार्टी विधान परिषद में एक सीट चाहती है. एक सवाल के जवाब में जीतनराम मांझी ने कहा कि शरद यादव जैसे नेताओं को राज्यसभा जरूर जाना चाहिए. शरद यादव पार्टी विशेष से ऊपर हैं. तत्काल वे राजद के साथ हैं, तो राजद को उन्हें राज्यसभा भेजना चाहिए.

करते रहे हैं ब्रह्मणों का विरोध

जीतन राम मांझी पहली बार ब्रह्मणों का विरोध नहीं किया है. शनिवार को ही धनबाद में उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं किसी की आस्था पर कुठाराघात नहीं करता, लेकिन धर्म के नाम पर पिछड़ी जाति के लोगों को हमेशा बरगलाया गया है. कहा कि बातें संवैधानिक विकास की होनी चाहिए थीं, लेकिन आज हम भी बस राजा रामचंद्र की आरती गा रहे हैं. पुजारियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि अपने समाज के लोगों को उन्होंने ऐसे लोगों से सचेत रहने को कहा है, जो पूजा कराने के नाम पर ठगते हैं.

उन्होंने कहा कि कई पुजारी ऐसे हैं, जिन्हें श्लोक तक नहीं मालूम. वह गरीबों के भोलेपन का फायदा उठाते हैं. विवाह हो या श्राद्ध, यह किताब के नाम पर अखबार ले जाते हैं और फिर हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जो पूजा कराता है, सबसे पहले उसे प्रसाद ग्रहण करना चाहिए, लेकिन पिछड़ी जाति के लोगों के घरों में जाकर पुजारी प्रसाद न ग्रहण कर नकद पैसे ऐंठते हैं.

अब नहीं लड़ेंगे लोकसभा या विधानसभा का चुनाव

जीतनराम मांझी ने पिछले दिनों झारखंड में एक सभा को संबोधित करते हुए भी कहा था कि अब उनकी उम्र ढल रही है. अब वह लोकसभा या विधानसभा चुनाव में लोगों के बीच जाने की स्थिति में नहीं है. अपरोक्ष प से राज्यसभा जाने की इच्छा जताते हुए उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की थी. गौरतलब है कि राज्यसभा में बिहार से दो सीटें रिक्त हैं.

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