गिद्धौर . स्वच्छ भारत मिशन और लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान के तहत गांवों को स्वच्छ व समृद्ध बनाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से चलायी गयी योजनाएं अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ रही है. इसका ताजा उदाहरण प्रखंड के पूर्वी गुगुलडीह पंचायत में देखा जा सकता है, जहां 12 लाख रुपये की लागत से निर्मित ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई वर्षों से उपेक्षा का शिकार होकर अब खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है. जानकारी के अनुसार, उक्त प्रसंस्करण इकाई का निर्माण मनरेगा और 15 वें वित्त आयोग से किया गया था. निर्माण के समय इसे गांव की साफ-सफाई व्यवस्था में क्रांतिकारी पहल मानी गयी थी. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मौजूदगी में इसका उद्घाटन भी बड़े तामझाम के साथ हुआ था. लेकिन आज यह डंपिंग यार्ड पूरी तरह से निष्क्रिय पड़ा हुआ है.
कचरा उठाव की नहीं हुई पहल
स्थानीय ग्रामीण पिंटू कुमार, छोटेलाल मरांडी, मंगल सोरेन, उर्मिला देवी, प्रकाश दास, विजय दास, अरविंद यादव, तारणी यादव एवं रवि तांती ने बताया कि अब तक पंचायत क्षेत्र के किसी भी वार्ड में कचरा उठाव की कोई ठोस पहल नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि योजना के तहत स्वच्छता कर्मियों की नियुक्ति, वार्ड स्तर पर रिक्शा और बैट्री चालित टोटो की व्यवस्था, यहां तक कि हर घर में डस्टबिन भी उपलब्ध कराया गया था. लेकिन व्यवहार में ये सब केवल ‘दिखावा’ बनकर रह गया.
खाद और रिसाइक्लिंग का सपना टूटा
ग्रामीणों का कहना है कि इस इकाई का मुख्य उद्देश्य कचरे को वर्गीकृत कर उसे पुनर्चक्रित कर खाद और अन्य सामग्री में उपयोग करना था, जिससे न केवल सफाई होती, बल्कि आय का स्रोत भी विकसित होता. परंतु यह योजना अधिकारियों की उदासीनता और निगरानी की कमी के कारण ध्वस्त हो गई है.
प्रखंड स्वच्छता समन्वयक ने दी सफाई
इस संदर्भ में जब प्रभात खबर संवाददाता ने प्रखंड स्वच्छता समन्वयक प्रियंका रानी से बात की, तो उन्होंने कहा कि कचरा उठाव कार्य जारी है. प्रसंस्कृत कचरे की बिक्री भी कर दी गई है. हालांकि, मौके पर जाकर देखने से स्थिति पूरी तरह से इसके उलट नजर आती है.
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