झाझा . 27 व 28 फरवरी को नागी पक्षी आश्रयणी में तृतीय पक्षी महोत्सव कलरव का आयोजन होगा. दो दिवसीय महोत्सव में अनोखी प्रदर्शनी, स्टॉल, पक्षी देखने के सत्र, विशेषज्ञ वार्ता, कार्यशाला, पक्षी दौड़ के अलावा अन्य तरह का कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. वन प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जायसवाल ने बताया कि इस बार दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच क्वीज, पेंटिंग, सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पक्षी रेस के अलावा अन्य तरह के कार्यक्रम आयोजित कराये जायेंगे. डीएफओ ने बताया की नागी अब प्रदेश स्तर पर ही नहीं देश स्तर पर अपनी ख्याति प्राप्त कर चुका है. जब से रामसर साइट पर नागी का चयन हुआ है. यह लगातार विकसित हो रहा है. ऐसे में अब प्रत्येक वर्ष यहां पक्षी महोत्सव का आयोजन होना तय है. इसी आलोक में इस बार यह कार्यक्रम किया जा रहा है.
नागी में तीसरे महोत्सव का हो रहा आयोजन
नागी पक्षी अभयारण्य के मनोरम दृश्य, साइबेरियन पक्षियों के प्रवास समेत अन्य चीज को देखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने पहला पक्षी महोत्सव नागी में किया था. उसके बाद इस बार तीसरा पक्षी महोत्सव हो रहा है. इससे प्रतीत होता है कि नागी न सिर्फ प्रवासी पक्षियों का स्थल बन रहा है, बल्कि पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं अन्य लोगों के लिए भी नागी-नकटी का अपना एक खास स्थान है. नागी और नकटी दोनों ही प्रवासी पक्षियों के लिए जाना जाता है. नागी,नकटी पूरे 6 माह तक प्रवासी पक्षियों से कलरव रहता है. शीतकाल के शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. जो ठंड के समाप्ति तक नागी व नकटी में गुलजार होता है. अक्टूबर माह से शुरू होकर यह फरवरी के अंतिम सप्ताह तक पक्षियों का झुंड लगातार इन जलाशयों में देखने को मिलता है. नवंबर से जनवरी तक नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी में हजारों की तादाद में साइबेरियन पक्षी न सिर्फ अपना आश्रय स्थल बनाए हैं, बल्कि हमेशा कलरव करते हैं.
रिसर्च के लिए पहुंच रहे विशेषज्ञ
देश-विदेश के कोने-कोने से पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, मृदा विशेषज्ञ, जल विशेषज्ञ समेत कई विशेषज्ञ लगातार रिसर्च के लिए नागी पहुंच रहे हैं. बीते 5 वर्षों में सैंकड़ों शोधकर्ताओं ने यहांग्की आबोहवा व साइबेरियन पक्षी पर रिसर्च किया. पक्षी विशेषज्ञ डॉ अरविंद मिश्रा ने बताया कि आने वाले दिनों में नागी पक्षी आश्रयणी पक्षी विशेषज्ञ के लिए एक बड़ा हब बनेगा. जहां न सिर्फ भारतीय शोधार्थियों व विद्यार्थियों का जमघट रहेगा, बल्कि विदेशों से साइबेरियन पक्षी के शोधकर्ताओं का दल भी यहां आयेंगे. वे न सिर्फ साइबेरियन पक्षी का शोध करेंगे, बल्कि यहां की आबोहवा के रिसर्च के लिए आयेंगे. उन्होंने बताया कि फिलहाल भारत के कई विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध वैज्ञानिक व विशेषज्ञ यहां आकर रिसर्च कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय के अलावा दक्षिण भारत के कई विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ व शोधार्थी नागी आकर अपना शोध कर चुके हैं. उन्होंने आमलोगों से नागी पक्षी आश्रयणी को सहेज कर रखने का अपील की है. बहरहाल नागी पक्षी आश्रयणी में एक बार फिर से राज्य पक्षी महोत्सव कलरव का होना सुखद है.
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