बरहट . आज की बेटियां सिर्फ पढ़ाई ही नहीं कर रहीं, बल्कि आत्मरक्षा की कला भी सीखकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. शिक्षा अब केवल किताबों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह जीवन जीने का हुनर और समाज में सशक्त बनने का माध्यम बन चुकी है. बेटियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से चलाई जा रही रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण योजना के तहत बरहट प्रखंड के दो विद्यालयों में छात्राओं को कराटे, ताइक्वांडो और बसु जैसे मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दी जा रही है.
मलयपुर व बरहट विद्यालयों में छात्राओं का दिख रहा उत्साह
यह प्रशिक्षण मलयपुर स्थित प्लस टू परियोजना कामिनी बालिका उच्च विद्यालय और प्लस टू शुक्रदास यादव मेमोरियल राजकीय उच्च विद्यालय बरहट में दी जा रही है. दोनों विद्यालयों की दर्जनों छात्राएं नियमित रूप से आत्मरक्षा की तकनीक सीख रही हैं. प्रशिक्षण के दौरान छात्राओं के चेहरों पर आत्मविश्वास और जोश साफ देखा जा सकता है.
तीन महीने का प्रशिक्षण, चयनित छात्राएं बनेंगी प्रशिक्षक
इस योजना के तहत तीन महीने तक छात्राओं को रोज डेढ़ घंटे की आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. खास बात यह है कि प्रशिक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली दो छात्राओं का चयन प्रशिक्षक के रूप में किया जाएगा, जो आगे चलकर अपने विद्यालय की अन्य छात्राओं को 66 दिनों तक आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देंगी. इससे अधिक छात्राएं लाभान्वित होंगी और यह प्रशिक्षण योजना और व्यापक हो सकेगी.
बदलती सोच, बढ़ता आत्मबल
प्राचार्य ईला कुमारी ने बताया कि आज की बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. शिक्षा से लेकर प्रशासनिक सेवाओं तक वे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा का यह प्रशिक्षण छात्राओं में आत्मविश्वास और साहस पैदा कर रहा है. यह उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाएगा, ताकि वे बिना किसी भय के समाज में अपना स्थान बना सकें.
ग्रामीण बेटियों के लिए संजीवनी साबित हो रही योजना
ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है. समाजसेवी ललन सिंह ने कहा कि आत्मरक्षा प्रशिक्षण से बेटियों को न केवल सुरक्षा का बोध हो रहा है, बल्कि वे आत्मसम्मान और आत्मबल के साथ जीवन जीने का तरीका भी सीख रही हैं. उन्होंने कहा कि जब बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी, तभी वे शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगी. यह योजना समाज को भी यह संदेश देती है कि बेटियां किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं हैं.
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