जमुई. जिले में महिला सशक्तीकरण की दिशा में चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम ने 51 दिन पूरे कर लिये हैं. इस दौरान 1111 ग्राम संगठनों में सफलतापूर्वक संवाद आयोजित किया गया है, जिसमें अब तक सवा दो लाख से अधिक महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जा चुकी है. कार्यक्रम के अंतर्गत प्राप्त 26 हजार से ज्यादा महिलाओं की आकांक्षाओं को मोबाइल एप के माध्यम से संबंधित विभागों को भेजा गया है. डीपीआरओ भानु प्रकाश ने बताया कि शनिवार को सदर प्रखंड के अगहरा बरुअट्टा गांव में ओम जीविका महिला ग्राम संगठन द्वारा महिला संवाद का आयोजन किया गया. इस अवसर पर स्वाभिमान संकुल संघ की अध्यक्ष बबिता पांडेय ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि गांव की महिलाएं आगे आएं, अपनी बात रखें और गांव के विकास में भागीदार बनें. उन्होंने बताया कि कैसे जीविका से जुड़ने के बाद वे आत्मनिर्भर बनीं और आज अध्यक्ष पद पर कार्य कर रही हैं. बबिता पांडेय ने जीविका द्वारा संचालित विभिन्न पहलुओं जैसे सदर अस्पताल की रसोई, स्वास्थ्य सहायता केंद्र, स्टिचिंग सेंटर का जिक्र करते हुए महिलाओं को प्रेरित किया. मौके पर जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक संजय कुमार ने बताया कि महिला संवाद कार्यक्रम के जरिए न सिर्फ जागरूकता फैल रही है, बल्कि सरकार महिलाओं से जानना चाहती है कि उनके विकास के लिए आगे क्या किया जाये. उन्होंने कहा कि यह एक मंच है जहां महिलाएं निडर होकर अपनी आकांक्षाएं और समस्याएं साझा कर रही हैं. कार्यक्रम में भाग लेने वाली कुछ महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियां भी सामने आयीं. ज्योति समूह की सदस्य ने बताया कि जीविका से लोन लेकर उन्होंने अपनी बेटी को एमसीए तक पढ़ाया, जो अब बेंगलुरु में कार्यरत है. वहीं द्रौपदी देवी ने राशन कार्ड की आवश्यकता जताई, संध्या कुमारी को इंटर में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर प्रोत्साहन राशि मिली और कल्पना देवी ने बेटियों की शिक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की. महिलाओं ने सामूहिक रूप से वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने की मांग भी की. करीब 250 महिलाओं की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम में एलईडी स्क्रीन के माध्यम से बिहार सरकार की योजनाओं पर आधारित फिल्म दिखायी गयी. इसके साथ ही सभी महिलाओं के बीच योजनाओं से जुड़ा लिफलेट एवं मुख्यमंत्री का संदेश पत्र भी वितरित किया गया. उल्लेखनीय है कि महिला संवाद कार्यक्रम की शुरुआत 18 अप्रैल से हुई थी और यह प्रतिदिन 22 स्थानों पर दो पालियों में आयोजित किया जा रहा है. अब कार्यक्रम समापन की ओर है, लेकिन इसके प्रभाव से महिलाओं में आत्मविश्वास, जागरूकता और भागीदारी की जो भावना जगी है, वह आने वाले समय में सामाजिक बदलाव का वाहक बन सकती है.
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