23.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

गौरवशाली जमुई : 757 साल पुराना है गिद्धौर रियासत का इतिहास, यहां हुए कई प्रतापी महाराजा

जमुई जिले में करीब 800 सालों तक चंदेल राजाओं ने शासन किया. 12वीं सदी में गिद्धौर रियासत की स्थापना की गयी थी. मध्य प्रदेश के कालिंजर चंदेल राजवंश के वंशजों ने इसकी स्थापना की थी. इस राजवंश में कई प्रतापी राजा भी हुए. आइए, गिद्धौर रियासत के गौरवशाली अतीत को जानें.

जमुई का इतिहास सदियों पुराना है. महाभारत काल से लेकर आधुनिक भारत तक में इसकी मौजूदगी ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित भी हो चुकी है. महाभारत काल में यहां राजा वृहद्रथ का किला हुआ करता था. इसे जम्भुबनी या जांबियाग्राम के नाम से जाना जाता था. लेकिन बाद में जमुई जिले में लंबे समय तक चंदेल राजाओं का शासन काल रहा. जमुई में 12वीं सदी में चंदेल राजवंश की स्थापना की गयी थी.

इसका जीता जागता प्रमाण जमुई के गिद्धौर में आज भी चंदेल राजवंश का किला है. इसके अलावा जमुई जिले के खैरा में भी चंदेल राजवंश राजाओं का किला आज भी मौजूद है. हालांकि गिद्धौर रियासत ही एकमात्र ऐसी रियासत थी, जो उस वक्त की बड़ी रियासतों में शुमार थी. बाद में उसी से कट कर खैरा रियासत की स्थापना की गयी थी. गिद्धौर राजवंश का इतिहास काफी पुराना और काफी दिलचस्प है. बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो गिद्धौर राजवंश के बारे में पूरी तरह जानते होंगे. आइए, जमुई के गिद्धौर राजवंश के इतिहास से रू-ब-रू होते हैं.

12वीं सदी में हुई थी गिद्धौर राजवंश की स्थापना

इतिहासकार बताते हैं कि गिद्धौर रियासत के चंदेल राजाओं के पूर्वज मूलत: मध्य प्रदेश के शक्तिशाली चंद्रवंशी चंदेल राजपूत वंश के थे. मध्य प्रदेश के महोवा के रहने वाले चंदेल राजवंश के शासक जिनके द्वारा खजुराहो के मंदिरों का निर्माण कराया गया था, उन्हीं के वंशज गिद्धौर आये और उन्होंने इस रियासत की नींव रखी थी. इससे पहले कालिंजर में चंदेल शासकों की राजधानी हुआ करती थी. सन 1266 में राजा वीर विक्रम सिंह द्वारा गिद्धौर रियासत की नींव रखी गयी थी. दरअसल चंदेल राजवंश का इतिहास नौवीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है. राजा नन्नुक पहले से चंदेल राजा थे, जिन्होंने इस वंश की नींव रखी थी. इसके बाद इसमें कई यशस्वी राजा हुए.

12 वीं शताब्दी में चंदेल वंश के राजा परमर्दि देव को दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान और बाद में मुगलों ने परास्त कर दिया था. राजा परमर्दि देव के सेना प्रमुख अल्लाह व उदल ने कालिंजर की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखी, परंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद चंदेल राजपूत शासक अलग-अलग दिशाओं में चले गये. उनकी एक शाखा हिमाचल प्रदेश में बस गयी और उनके द्वारा ही बिलासपुर राज्य की स्थापना की गयी थी. बाद में मिर्जापुर जिले में विजयगढ़, अघोरी व बड़हर में भी इन्होंने अपनी रियासतों की स्थापना की. इसी राजवंश के राजा वीर विक्रम सिंह द्वारा गिद्धौर राजवंश की नींव रखी गयी थी.

नागोरिया शासकों को पराजित कर स्थापित किया था साम्राज्य

इतिहासकारों की मानें तो राजा वीर विक्रम सिंह जब गिद्धौर आये थे तो उस दौरान उन्होंने दुसाध जनजाति के नागोरिया नामक आदिवासी प्रमुख को पराजित किया था. नागोरिया की हत्या के बाद ही उन्होंने गिद्धौर में चंदेल राजवंश की नींव रखी थी. कहा जाता है कि वह इस हिस्से के पहले राजपूत आक्रमणकारी थे. जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र में शेरशाह सूरी द्वारा बनवाया गया नौलखा गढ़ का अवशेष आज भी मौजूद है. इतिहासकार मानते हैं कि वही एक समय में चंदेल राजाओं का शक्ति केंद्र माना जाता था. गिद्धौर रियासत बिहार के सबसे पुराने शाही परिवारों रियासतों में से एक माना जाता है. इस शाही परिवार ने सात शताब्दी से भी अधिक समय तक अपना शासन काल चलाया.

गिद्धौर रियासत में हुए थे कई प्रतापी महाराज

गिद्धौर रियासत में कई प्रतापी महाराज हुए, जिनमें से महाराज बहादुर चंद्र मौलेश्वर सिंह ने करीब 10 फुट लंबे सफेद बाघ की हत्या की थी. ऐसा करने वाले वे भारत के तीसरे व्यक्ति बने थे. इतिहासकार बताते हैं कि फरवरी 1932 में गिद्धौर रियासत के लछुआड़ जंगल में करीब 9.61 फीट लंबा सफेद बाघ देखा गया था. इसके बाद महाराज ने अकेले ही उसे बाघ का शिकार किया था. उसे आज भी कोलकाता के नेशनल म्यूजियम में रखा गया है. इसके अलावा महाराज बहादुर चंद्र मौलेश्वर सिंह ने अजगर का भी शिकार किया था, जिसे उन्होंने गिद्धौर के जंगलों में मार गिराया था. लेखक रिचर्ड लिडेकर और जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व वैज्ञानिक एस मोहम्मद अली ने अपने लेख द कैट्स ऑफ इंडिया में भी इनका उल्लेख किया है.

गिद्धौर रियासत ने ही करवाया है बैद्यनाथ धाम मंदिर का निर्माण

गिद्धौर रियासत के सभी राजा भक्ति भाव से भी परिपूर्ण रहे. उनमें से एक राजा सुखदेव बर्मन द्वारा जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र में 108 शिवलिंगों का एक मंदिर बनवाया गया, जिसे बाद में मुगल आक्रांताओं द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर में स्थापित बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर का निर्माण भी गिद्धौर रियासत द्वारा ही करवाया गया था.

सन 1596 में गिद्धौर रियासत के राजा पूरन सिंह ने झारखंड के देवघर में बैद्यनाथ धाम मंदिर का निर्माण कराया था. राजा पूरणमल की प्रसिद्धि इतनी थी कि बताया जाता है कि मुगल सम्राट, पूरणमल के पारसमणि पर कब्जा करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने उनके युवराज हरि सिंह को दिल्ली बुलाया और उन्हें बंदी बना लिया था. इस दौरान राजा पूरणमल सिंह की मृत्यु हो गयी और उनके छोटे पुत्र विशंभर सिंह को गिद्धौर का ताज पहनाया गया था. पूर्व में गिद्धौर रियासत को पतसंडा रियासत के नाम से भी जाना जाता था.

महेश्वरी व डुमरी की जागीर को कर ली थी जब्त

सन 1741-1765 तक राजा राजा अमर सिंह ने गिद्धौर रियासत पर शासन किया था. जिस वक्त राजा अमर सिंह गद्दी पर बैठे, उस समय देश में अंग्रेजी शासन फैलने लगा था. राजा ने बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाब का समर्थन किया था. इसके परिणामस्वरूप उनका राज्य जब्त कर लिया गया और इसका एक बड़ा हिस्सा घाटवाली कार्यकाल के रूप में घाटवालों के पास आ गया.

बंगाल डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार और दो रिपोर्ट किये गये मामले यानी गोपी राम भोटिका बनाम ठाकुर जगरनाथ सिंह, भारतीय कानून रिपोर्ट 1929 (पैट) पृष्ठ 4 में रिपोर्ट किये गये और सुखदेव सिंह बनाम गिद्धौर के महाराजा बहादुर, 1951 एआईआर 288 (एससी) में रिपोर्ट किये गये. इसमें यह स्पष्ट है कि गिद्धौर की संपत्ति के काफी हिस्से को जब्त करने के बाद, कटौना की जागीर को गिद्धौर राज परिवार के साथ बसाया गया था और दो घाटवाली तालुक यानी महेश्वरी और डुमरी को भी उनके घाटवालों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण सीधे खैरा और गिद्धौर के चंदेल राजा को सौंप दिया गया था. राजा गोपाल सिंह ने ब्रिटिश राज से इसकी संपत्ति वापस हासिल कर ली.

गिद्धौर रियासत के सभी महाराजा

क्रमशासक का नामशासन काल
1संस्थापक व पहले शासक : राजा वीर विक्रम सिंह
2दूसरे शासक : राजा सुख देव सिंह
3तीसरे शासक : राजा देव सिंह
4चौथे शासक : राजा राम निरंजन सिंह
5पांचवें शासक : राजा राज सिंह
6छठे शासक : राजा दर्प नारायण सिंह
7सातवें शासक : राजा रघुनाथ सिंह
8आठवें शासक : राजा बरियार सिंह
9नौवें शासक : राजा पूरन मल
10दशवें शासक : राजा बिसंभर सिंह
11चौदहवें शासक : राजा दुलार सिंह
12पंद्रहवें शासक : राजा श्रीकृष्ण सिंह1691-1717
13सोलहवें शासक : राजा प्रदुमन सिंह1717-1725
14सत्रहवें शासक : राजा श्याम सिंह1725-1741
15अठारहवें शासक : राजा अमर सिंह1741-1765
16उन्नीसवें शासक : राजा भरत सिंह
17बीसवें शासक : राजा गोपाल सिंह
18इक्कीसवें शासक : राजा जसवंत सिंह
19बाईसवें शासक : राजा नवाब सिंह
20तेईसवें शासक : महाराजा बहादुर सर जयमंगल सिंह
21चौबीसवें शासक : महाराजा बहादुर शिवप्रसाद सिंह
22पच्चीसवें शासक : महाराजा बहादुर रावणेश्वर प्रसाद सिंह
23छब्बीसवें शासक : महाराजा बहादुर चंद्र मौलेश्वर प्रसाद सिंह
24सत्ताइसवें शासक : महाराजा बहादुर चंद्रचूड़ सिंह
25अट्ठाइसवें शासक : महाराजा बहादुर प्रताप सिंह
26उनतीसवें शासक : महाराजा बहादुर राजराजेश्वर प्रसाद सिंह
डाटा : राजपूत प्रोविंसेज ऑफ इंडिया की ऑफिशियल वेबसाइट इंडियन राजपूत डॉट कॉम

जमुई से गुलशन कश्यप की रिपोर्ट

Also Read : पॉलिटिकल किस्सा: जब राजमंगल मिश्र ने ठुकराया शिक्षा मंत्री का पद, तो चंद्रशेखर ने राजमंगल पांडेय को सौंप दिया मंत्रालय

NDA के गढ़ में ‘इंडिया’ की घेराबंदी, काराकाट लोकसभा की सभी 6 विधानसभा सीटें महागठबंधन के कब्जे में

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel