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कुत्ते ने काटा, तो पटना के सरकारी अस्पतालों में ढूंढ़ते रह जायेंगे एंटी रैबीज इंजेक्शन, लोग परेशान

शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. कुत्तों की बढ़ती संख्या के बीच शहर के सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन की अनुपलब्धता ने पटना जिले के लोगों को परेशान कर दिया है.

आनंद तिवारी, पटना. शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. कुत्तों की बढ़ती संख्या के बीच शहर के सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन की अनुपलब्धता ने पटना जिले के लोगों को परेशान कर दिया है.

हर रोज कुत्ता काटने की करीब 20 से अधिक घटनाएं शहर के अलग-अलग अस्पतालों में आ रही हैं. लेकिन उन्हें शहर के गर्दनीबाग, राजेंद्र नगर नेत्रालय, पीएमसीएच, एलएनजेपी शास्त्री नगर हड्डी अस्पताल, पटना सिटी स्थित जीजीएस आदि सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में मरीज प्राइवेट अस्पताल व दवा दुकानों की ओर रुख कर रहे हैं.

कैसे होता है रैबीज रोग

विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार कुत्ता, बंदर, लंगूर आदि के काटने से जो लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है, उससे रैबीज नामक बीमारी होने का खतरा रहता है. रैबीज रोग सीधे रोगी के मानसिक संतुुलन को खराब कर देता है.

गर्दनीबाग और पीएमसीएच में नहीं मिला इंजेक्शन

शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र के समनपुरा राजाबाजार के पास सुजीत चौधरी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता को कुत्ते ने काट लिया. उन्हें उपचार के लिए गर्दनीबाग अस्पताल लाया गया, जहां इंजेक्शन नहीं होने से डॉक्टरों ने पीएमसीएच रेफर कर दिया. लेकिन पीएमसीएच में भी एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं था. इस वजह से पीड़ित को बाहर से इंजेक्शन खरीदना पड़ा.

इसी तरह बुद्धा कॉलोनी में क्रिकेट खेल रहे रवि कुमार नाम के एक युवक को कुत्ते ने काट लिया. लेकिन उसे भी पीएमसीएच में इंजेक्शन नहीं मिला. बाद में परिवार वालों ने बाहर से इंजेक्शन खरीदा.

पहला इंजेक्शन 48 घंटे में

रैबीज रोग की रोकथाम के लिए एंटी रैबीज वैक्सीन है. नियमानुसार पहला इंजेक्शन 42 घंटे के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद और पांचवां 28 दिन के बाद लगाया जाता है. हालांकि एहतियात के तौर पर ऐसे मरीज को पहला इंजेक्शन तुरंत लगवा लेना चाहिए. मेडिकल स्टोर पर 2100 रुपये में मिलता है इंजेक्शन एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने का पूरा कोर्स करीब 2100 रुपये का है.

पूरा कोर्स छह इंजेक्शन का होता है. टीका लगवाने पर व्यक्ति एक साल से रैबीज से मुक्त हो जाता है. यानी एक साल के भीतर उसे दोबारा से कुत्ता, बंदर, लंगूर काट ले तो इंजेक्शन लगवाने की आवश्यकता नहीं होती.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
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