समोसे-जलेबी जैसे अन्य पारंपरिक स्नैक्स पूरे भारत का सबसे सस्ता और फेवरेट डिस में से एक है. पर यह जानकर आपको हैरानी होगी कि अब सभी दुकानों और कैंटीनों में इनकी तस्वीरों पर आपको वैसी ही चेतावनी लिखी मिलेगी, जैसे सिगरेट, गुटखा और तंबाकू पर लिखी होती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, स्वायत्त निकायों और सार्वजनिक संस्थानों को निर्देशित किया है कि वे अपने कार्यालयों, लॉबी, कैफेटेरिया, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे डिस्प्ले बोर्ड लगाएं, जो आमजन को यह बताएं कि उनकी पसंदीदा खाद्य सामग्री- जैसे समोसा, पकौड़ी, वड़ा पाव, पिज्जा, जलेबी, गुलाब जामुन और कोल्ड ड्रिंक में कितनी मात्रा में तेल और चीनी मौजूद है.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स ?
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ एनपी वर्मा कहते हैं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के तहत यह नयी पहल सीधे तौर पर देश के नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए की गयी है. साथ ही सरकार ने 2030 तक तेल की खपत में 10 प्रतिशत की कमी का जो लक्ष्य रखा है, यह कदम उसमें भी अहम भूमिका निभा सकता है.
बच्चों की खानपान की आदतों को पैरेंट्स बनाएं बेहतर
सरकार ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि छोटे बच्चों की खानपान की आदतों को बेहतर बनाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं. इसमें खासतौर पर तले हुए खाने से दूर रहने, रोजाना तेल की मात्रा को सीमित रखने और सबसे अहम बात – ट्रांस फैट से पूरी तरह बचने की बात कही गयी है. ट्रांस फैट वही होता है जो वनस्पति घी, पुराने तेल में बने समोसे, जलेबी और बेकरी के कई सामानों में पाया जाता है. अभिभावकों को भी यह सलाह दी जाती है कि वे अपने बच्चों की खानपान की आदतों में सुधार लाएं.
असमंजस में हैं दुकानदार और ग्राहक
राजधानी पटना व आसपास के क्षेत्रों में 10 हजार से अधिक छोटे-बड़े विक्रेता हैं, जो समोसा-जलेबी बेचते हैं. एक अनुमान के अनुसार, पटना का समोसा-जलेबी कारोबार प्रतिदिन करोड़ों रुपये का है. अगर एक दुकानदार रोज 5,000 रुपये की बिक्री करता है, तो उसका मासिक टर्नओवर डेढ़ लाख रुपये तक पहुंचता है. सरकार के इस नये फैसले से न केवल दुकानदार बल्कि ग्राहक भी असमंजस में हैं. कई दुकानदारों को बिक्री पर असर की आशंका है, तो कुछ इसे एक जरूरी चेतावनी मानते हैं. वहीं लोगों का कहना है कि सरकारी चेतावनी के इस फैसले का उद्देश्य भले ही लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है, लेकिन इससे छोटे दुकानदारों की चिंता भी बढ़ गयी है. जागरूकता और व्यावहारिक समाधान दोनों की जरूरत है.
दुकानदारों ने कहा- बिक्री पर असर डाल सकता है चेतावनी बोर्ड
“जलेबी-समोसा तो लोगों की आदत बन चुकी है. भले ही चेतावनी लगे, लेकिन खाने वाले तो खाएंगे ही. हां, पढ़े-लिखे और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग शायद परहेज करें. इससे हमारी बिक्री पर लगभग 15-20% तक असर पड़ सकता है. हमें डर है कि अगर ज्यादा हाइप बन गयी तो ग्राहक घबराने लगेंगे.” – मुकेश कुमार, हलवाई
“हम रोज 200-300 समोसे बेचते हैं. अब अगर हर समोसे या दुकान पर चेतावनी लगानी पड़ी, तो ग्राहक सोचेंगे ये कोई हानिकारक चीज है. इससे बिक्री घट सकती है. छोटे दुकानदारों के लिए तो ये मुश्किल होगा. शायद अब हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि तेल साफ-सुथरा हो, ताकि ग्राहक को भरोसा रहे.” -मोहम्मद अफरोज, समोसा विक्रेता
“स्वास्थ्य चेतावनी से कुछ हद तक लोग सचेत होंगे, लेकिन जलेबी, रसगुल्ला तो हमारी संस्कृति में रचे-बसे हैं. त्योहारों पर कोई नहीं रुकेगा. हां, माता-पिता बच्चों के लिए सतर्क हो सकते हैं. हम कोशिश करेंगे कि शुद्ध घी और साफ तेल का ही उपयोग करें, ताकि ग्राहक का विश्वास बना रहे.”- अमर साहू, मिठाई दुकानदार
“हम जैसे छोटे ठेले वालों के लिए चेतावनी बोर्ड लगाना मुश्किल है. कहां से लाएं बोर्ड, और जगह भी नहीं होती. सरकार को कुछ मदद करनी चाहिए, वर्ना डर के मारे लोग आना ही बंद कर देंगे. वैसे भी महंगाई की मार झेल रहे हैं, अब ये चेतावनी और मुश्किल खड़ी करेगी.” –अशोक यादव, दुकानदार
हेल्थ एक्सपर्ट बोले- लोगों को जागरूक करने के लिए यह जरूरी कदम
1. सिगरेट और समोसे की तुलना पूरी तरह सही नहीं, लेकिन इनसे होने वाले नुकसान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हफ्ते में कभी-कभार समोसा खाना उतना हानिकारक नहीं, लेकिन रोजाना तले-मीठे आइटम खाना डायबिटीज, फैटी लीवर और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है. 100 ग्राम जलेबी में 356 और समोसे में 362 कैलोरी होती है. बार-बार तले जाने से तेल में ट्रांस फैट बढ़ता है, जो हृदय के लिए बेहद नुकसानदेह है. ऐसे में सरकार का यह कदम आम लोगों को खुद के हेल्थ के प्रति जागरूक व सावधान करेगा.
– डॉ एनपी वर्मा, वरिष्ठ फिजिशियन
2. भारत में 80 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं, और हर तीसरा व्यक्ति फैटी लीवर की समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में मंत्रालय का यह कदम समय की मांग है. समोसा और जलेबी जैसे खाद्य पदार्थ न केवल मोटापा और हार्ट प्रॉब्लम की वजह बनते हैं, बल्कि ये पाचन तंत्र पर भी बुरा असर डालते हैं. 2-3 जलेबियों से 300 से अधिक कैलोरी मिलती है, जो वजन और ब्लड शुगर दोनों को बढ़ा सकती है. ऐसे में जागरूकता बेहद जरूरी है. इसका मकसद लोगों को जंक फूड के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूक करना है.
– डॉ मनीष भास्कर, असिस्टेंट प्रोफेसर, पेट रोग विभाग, पीएमसीएच
क्या आप जानते हैं –
1. एक समोसा 91 कैलोरी देता है. जिसमें से कार्बोहाइड्रेट में 32 कैलोरी होती है, प्रोटीन में 6 कैलोरी होती है और शेष कैलोरी वसा से होती है, जो 71 कैलोरी होती है. एक समोसा 2,000 कैलोरी के एक मानक वयस्क आहार की कुल दैनिक कैलोरी आवश्यकता का लगभग 5 प्रतिशत प्रदान करता है.
एक समोसे से आने वाली 91 कैलोरी को ऐसे करना होगा बर्न
चलना (6 किमी प्रति घंटा) = 27 मिनट
दौड़ना (11 किमी प्रति घंटा) = 9 मिनट
साइकिल चलाना (30 किमी प्रति घंटा) = 12 मिनट
तैराकी (2 किमी प्रति घंटा) = 16 मिनट
नोट: प्रत्येक व्यक्ति में कैलोरी बर्निंग में अंतर हो सकता है.
ऐसे समझें – ऐसे स्नैक्स में नहीं होता कोई फाइबर
अगर कोई व्यक्ति हफ्ते में तीन बार समोसा और जलेबी खाता है, तो वह लगभग 2,100 से 2,200 एक्स्ट्रा कैलोरी हर हफ्ते खा रहा है. इसका सीधा असर वजन बढ़ने, पेट बाहर आने और शरीर की चर्बी बढ़ने के रूप में देखा जा सकता है. यही नहीं, इन चीजों के कारण ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियां भी समय से पहले दस्तक दे सकती हैं. इन दोनों स्नैक्स में कोई फाइबर नहीं होता, न ही इसमें शरीर को जरूरी विटामिन या प्रोटीन मिलता है. यानी कैलोरी तो भरपूर मिलती है, लेकिन शरीर के लिए फायदेमंद कोई तत्व नहीं मिलता.