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hajipur news. सितंबर में ही दिखने लगे प्रवासी पक्षी, पड़ेगी कड़ाके की ठंड

बैठक राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र के प्रेक्षागृह में निदेशक डाॅ गोपाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई

हाजीपुर. पक्षी संरक्षण को लेकर पक्षी संवाद का आयोजन किया जाना है. इसे लेकर देश के कई पक्षी विशेषज्ञों का जुटान होने जा रहा है. इसकी तैयारियों को लेकर हुई बैठक में एसएनएस काॅलेज के जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह वेटलैंड मैन डाॅ सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि पक्षियों के अद्भुत संसार को समझने के लिए जागरूकता जरूरी है. इस दौरान बताया गया कि जो प्रवासी पक्षी अक्टूबर के मध्य तक देखे जाते थे, वह सितंबर के पहले सप्ताह में ही दिखाई दे रहे हैं. इन पक्षियों का समय से पहले आना बताता है कि इस वर्ष कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है.

बैठक में नेशनल डॉल्फिन रिसर्च इंस्टिट्यूट पटना के निदेशक डाॅ गोपाल शर्मा, जंतु विज्ञान विभाग पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व विभागाध्यक्ष डाॅ सहला यास्मीन, पक्षी विशेषज्ञ कर्नल अमित कुमार, पक्षी विशेषज्ञ नवीन कुमार एवं एडीएम ललित कुमार सिंह भाग लिया.

पक्षी संरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां की साझा

यह बैठक राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र के प्रेक्षागृह में डाॅ गोपाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में लोगों ने अपने अनुभव, प्रश्न तथा पक्षी संरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की. बताया गया कि पक्षी संवाद हमें प्रकृति के प्रति समझ और जिम्मेदारी को और गहरा बनाने में सहायक होगा तथा विद्यालयों एवं कालेजों में पक्षी संवाद करने से प्रदेश के अगली पीढ़ी को लाभ मिलेगा.

एशियन वाटरबर्ड सेंसस के कॉर्डिनेटर और हाजीपुर एसएनएस कालेज के प्रो सत्येन्द्र कुमार ने बताया कि अक्टूबर में आने वाले प्रवासी पक्षियों का सितंबर के पहले ही सप्ताह में समय से पहले बिहार में आना आरंभ हो गया है. यह प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ने का भी संदेश है. डा गोपाल शर्मा ने बताया कि ग्रे-हेडेड लैपविंग, काॅमन सैंडपाइपर, ग्लासी आइबिस, रेड-नेक्ड फाल्कन, स्टार्क बिल्ड किंगफिशर और वाइट वैगटेल जैसी महत्वपूर्ण प्रवासी पक्षी इस साल समय से पहले ही बिहार के मैदानी इलाकों में देखे जा रहे हैं. जबकि, पहले ये पक्षी अक्टूबर के मध्य में दिखायी देते थे. इसके पीछे पक्षी विशेषज्ञ द्वारा तापमान में बदलाव, मौसम की अनियमितता और जल-आवास के बेहतर संरक्षण जैसे कारण माने जा रहे हैं. ऐसे में सभी को मिलकर पक्षियों के अद्भुत संसार को समझने और उनके संरक्षण के लिए जन-जागरूकता फैलाने की आवश्यकता बताई गई.

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