प्रेमराज. गोरौल प्रखंड के रसूलपुर कोरीगांव पंचायत स्थित प्रथम वर्गीय पशु अस्पताल इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कभी इस अस्पताल में नियमित डॉक्टर तैनात रहते थे और दवाओं की कोई कमी नहीं थी, लेकिन अब विभागीय उदासीनता के कारण अस्पताल वर्षों से बंद पड़ा है. न डॉक्टर मिलते हैं, न दवाएं. अस्पताल परिसर पूरी तरह गंदगी से पटा है और पशुओं को खड़ा करने वाला स्थान भी ध्वस्त हो चुका है. इससे पशुपालकों को मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है, जहां उनका आर्थिक शोषण होता है. महंगी दवाएं बाजार से मंगवायी जाती हैं, जिससे गरीब पशुपालकों पर भारी बोझ पड़ता है. पशुपालक मनोज सिंह, कैलाश प्रसाद सिंह, वीरेंद्र सिंह, भूषण सिंह, चेतन बैठा, उपेंद्र सिंह सहित दर्जनों लोगों ने चिंता जतायी कि अस्पताल केवल कागज पर संचालित हो रहा है. चिकित्सक और कर्मी मवेशियों का इलाज फाइलों में दिखाकर वेतन उठा रहे हैं. गांव के वशिष्ठ प्रसाद सिंह, नवल सिंह, अरविंद कुमार सिंह सहित अन्य लोगों ने कहा कि सरकार एक ओर गोशाला की बात कर रही है, दूसरी ओर पशु अस्पतालों की दुर्दशा पर चुप है. यदि यही हाल रहा तो पशुपालन से ग्रामीणों का मोहभंग होना तय है.
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