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हाजीपुर. भाकपा माले के आह्वान पर राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत शनिवार को यहां प्रतिवाद मार्च निकाला गया. भाकपा माले और इंसाफ मंच के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने शहर के अनवरपुर चौक स्थित आंबेडकर स्मारक से वक्फ संशोधन विधेयक वापस लेने का नारा लगाते हुए मार्च किया. स्थानीय गांधी चौक पर पहुंच कर पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गये पर्यटकों की याद में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद सभा की गयी. विरोध मार्च का नेतृत्व भाकपा माले के जिला सचिव विशेश्वर प्रसाद यादव ने किया. सभा में बोलते हुए नेताओं ने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार वक्फ संशोधन विधेयक लाकर वक्फ की जमीन पूंजीपतियों को देना चाहती है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व देने और जिलाधिकारी को सर्वेसर्वा बनाना चाहती है. जबकि हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व स्वीकार नहीं करती. विभिन्न धार्मिक न्यास बोर्ड, हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड के नियंत्रण वाली साढे 20 लाख एकड़ जमीन गरीबों के बीच सरकार नहीं बांट रही है, लेकिन वक्फ बोर्ड के नियंत्रण वाली नौ लाख पांच हजार एकड़ जमीन पर उसकी गिद्धदृष्टि है. हजार-पांच सौ वर्ष पहले जो जमीन वक्फ की गयी, जिस पर मस्जिद, इमामबाड़ा, कब्रिस्तान बने हुए हैं, उन जमीनों का कागज मांगा जा रहा है, जो देना संभव नहीं है. वक्फ संशोधन विधेयक असंवैधानिक है और इसके जरिये सरकार सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना चाहती है.
पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गये 28 पर्यटकों को श्रद्धांजलि देते हुए नेताओं ने कहा कि कश्मीर में शांति और सुरक्षा देने का दावा झूठ साबित हुआ है. जिस कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन लिया गया, धारा 370 वापस ले लिया गया, केंद्र शासित उस कश्मीर से आतंकवाद को समाप्त करने का दावा किया जा रहा था, यह पूरी तरह खोखला साबित हुआ है. नोटबंदी से लेकर अब तक कश्मीर में लगातार छोटे-बड़े आतंकी हमले होते रहे हैं. लेकिन, सरकार अपनी विफलता स्वीकार करने को तैयार नहीं है. जब पूरे कश्मीर को सैनिक छावनी में बदल दिया गया है, जनता के लोकतांत्रिक अधिकार को समाप्त कर दिया गया है, फिर भी जहां दो हजार से ज्यादा पर्यटक थे, वहां एक भी सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं था. आतंकी हमले में हिंदू मुस्लिम, दोनों मारे गये. घटना के दो घंटे बाद प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंचे, इस बीच पीड़ितों को भोजन, पानी, दवा और कंधे पर चढ़ाकर अस्पताल पहुंचाने वाले स्थानीय मुसलमान ही थे. नेताओं ने आतंक के साथ ही नफरत के खिलाफ भी लोगों से उठ खड़ा होने की अपील की. मौके पर प्रेमा देवी, डॉ बी सिंह, मजिंदर साह, रामनिवास प्रसाद यादव, गोपाल पासवान, रामबाबू भगत, राम पारस भारती, इंसाफ मंच के राजू वारसी, अर्जुन पासवान, रामजतन राय, रामनाथ सिंह, श्याम नारायण सिंह, शिवचंद्र राय, विजय कुमार यादव, चंदेश्वर सिंह, मिथिलेश देवी, बृजनंदन पासवान, लाला प्रसाद सिंह आदि ने विचार रखे.
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