हाजीपुर. शहर की चर्चित नाट्य संस्था निर्माण रंगमंच की ओर से आयोजित सफदर हाशमी एकल नाट्य महोत्सव का समापन नाटक खौफ की प्रस्तुति के साथ हुआ. स्थानीय सांचीपट्टी, विवेकानंद कॉलोनी स्थित निर्मलचंद्र थियेटर स्टूडियो में तीन दिवसीय नाट्योत्सव के आखिरी दिन पटना की संस्था कैनवास ने गुलजार लिखित नाटक खौफ की प्रस्तुति की. इसकी परिकल्पना और निर्देशन डॉ मदन मोहन कुमार ने किया. कार्यक्रम का उद्घाटन नाटककार अखौरी चंद्रशेखर और समाजसेवी किसलय किशोर ने किया. वरिष्ठ रंगकर्मी और निर्माण के सचिव क्षितिज प्रकाश ने अतिथियों को अंग-वस्त्र देकर सम्मानित किया. पवन कुमार अपूर्व ने धन्यवाद ज्ञापित किया. दंगे की पृष्ठभूमि पर आधारित नाटक खौफ की सीमा को बताता है. यह बताता है कि डर किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से कितना आहत कर सकता है कि वह किसी की जान ले ले. गुलज़ार का यह नाटक मुंबई में हुए दंगे को प्रदर्शित करता है और खौफ़ का ऐसा मंजर प्रस्तुत करता है जो दर्शकों को झकझोर देता है. दर्शक सोचने को विवश होते हैं कि आख़िर उस व्यक्ति का क्या क़सूर था, जिसे नाटक का पात्र यासीन ट्रेन से नीचे समंदर की खाड़ी में फेंक देता है. क्योंकि यासीन को लगता है कि वह आदमी उसे मार देगा. चार दिनों तक कर्फ्यू में फंसे होने के बाद यासीन किसी तरह अपने घर जाना चाहता है. इसके लिए वह मुंबई लोकल ट्रेन में सफर करता है. इस दौरान एक व्यक्ति से सामना होता है. यासीन को लगता है कि वह हिंदू है और उसे मारना चाहता है. जब खौफ हद तक पहुंच जाता है, तब यासीन उस आदमी को ट्रेन से बाहर फेंक देता है. यासीन को तब पता चलता है कि वह भी मुसलमान ही था, जब गिरते हुए चीखता है, अल्लाह. नाटक में रौशन कुमार ने संगीत, राजीव घोष ने प्रकाश, कनिका शर्मा ने सेट और राजीव कुमार रंजन ने वस्त्र विन्यास किया. डॉ मदन मोहन कुमार ने अपने प्रभावी अभिनय से नाट्य प्रस्तुति को जीवंत बनाया.
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