हाजीपुर. शहर के औद्योगिक क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइपर) के दीक्षांत समारोह में 114 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां दी गयीं. इनमें 108 परास्नातक तथा छह पीएचडी शोधार्थी शामिल हैं. शनिवार को संस्थान के सेमिनार हाल में सातवां दीक्षांत समारोह हुआ. मुख्य अतिथि केंद्र सरकार के औषध विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, विशिष्ट अतिथि राज्य सरकार के उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह, डीएम वर्षा सिंह आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर इसका उद्घाटन किया. समारोह की अध्यक्षता नाइपर के शासी मंडल के अध्यक्ष प्रो समित चट्टोपाध्याय ने की.
संस्थान की निदेशक प्रो के रुक्मिणी ने वर्ष 2024-25 की शैक्षणिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए संस्थान की उपलब्धियों को रेखांकित किया. निदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) 2025 की फार्मेसी श्रेणी में नाइपर, हाजीपुर ने 30 वां स्थान अर्जित किया है, जो 2022 में 75 वें स्थान पर था. यह संस्थान के निरंतर सुधार और प्रगति को दर्शाता है. सरकार की ओर से सौ करोड़ रुपये की लागत से जैविक चिकित्सकीय उत्पादों के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्वीकृति मिली है. इसके लिए जिले के राजापाकर में अतिरिक्त भूमि का आवंटन प्रस्तावित है, जहां भविष्योन्मुख परिसर के साथ फार्मा एवं मेडिकल डिवाइसेज पार्क स्थापित होगा. इससे औषध परीक्षण सुविधा का विकास होगा तथा नवाचार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अमित अग्रवाल ने वसुधैव कुटुंबकम की भावना के तहत वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में एकता, विश्वास एवं समानता के महत्व पर प्रकाश डाला. नाइपर के नवोदित फार्मासिस्टों एवं संकायजनों का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें उच्चतम नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों के साथ कठोर परिश्रम कर भारत को आर्थिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय मूल्यों की दृष्टि से महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करने को प्रेरित किया. इन्होंने औषधि एवं मेडिटेक क्षेत्र में भारत के भावी योगदान पर प्रकाश डाला. विशेष रूप से इस तथ्य पर बल दिया कि कोविड महामारी के समय यूरोपीय संघ के देशों ने भारत के योगदान की उच्च सराहना की थी. विशिष्ट अतिथि मिहिर कुमार सिंह ने राज्य सरकार द्वारा उच्च शिक्षा एवं औद्योगिक विकास के लिए दिये जा रहे सहयोग की चर्चा करते हुए कहा कि वैशाली में फार्मा एवं चिकित्सा उपकरण पार्क के लिए भूमि का आरक्षण राज्य की औद्योगिक एवं स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता का परिचायक है. इन्होंने बिहार के घरेलू औषधि बाजार के 30 हजार करोड़ रुपये के मूल्य तथा उससे उत्पन्न होने वाली रोजगार संभावनाओं के साथ ही राज्य के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद का जिक्र किया. आगामी योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि इनमें पटना मेडिकल कॉलेज का विस्तार, नवनिर्मित चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना तथा ग्रीनफील्ड औद्योगिक परियोजनाएं शामिल हैं.अध्यक्षीय संबोधन में प्रो समित चट्टोपाध्याय ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह सिर्फ उपाधियों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारे युवा स्नातकों के लिए अपने अर्जित ज्ञान को समाज कल्याण में रूपांतरित करने का आह्वान है.
शोध प्रकाशनों में योगदान के लिए किया सम्मानित
मौके पर उपाधि प्राप्त करने वाले 114 छात्र-छात्राओं में से सात को क्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक से नवाजा गया. दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों की उपलब्धियों का भी प्रदर्शन किया गया. संकाय सदस्यों को अनेक अनुसंधान अनुदान प्राप्त करने, 14 पेटेंट (जिनमें से सात स्वीकृत) दर्ज कराने तथा 623 शोध प्रकाशनों में योगदान के लिए सम्मानित किया गया. बताया गया कि संकाय सदस्य विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हुए. वैशाली जिले में प्रस्तावित अत्याधुनिक परिसर, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सहयोग के साथ, नाइपर हाजीपुर को औषधीय नवाचार, स्टार्टअप तथा स्वास्थ्य अनुसंधान का अग्रणी केंद्र बनाएगा तथा इसे विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय परिकल्पना के अनुरूप स्थापित करेगा. मौके पर राज्य औषधि नियंत्रक नित्यानंद किशलय, एसएस अस्पताल पटना के निदेशक डॉ जेके सिंह, सदर अनुमंडल पदाधिकारी रामबाबू बैठा, नगर कार्यपालक पदाधिकारी सुशील कुमार, डॉ महेंद्र प्रियदर्शी समेत अन्य उपस्थित थे.
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