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बेटी की डोली से पहले उठी बाप की अरथी

गांव में पसरा मातमी सन्नाटा, चार जून को बेटी की थी शादीहथुआ : कहते हैं कि होनी को कौन टाल सकता है. किसे पता था कि शादी की तैयारी में लगे महंथ की मौत रास्ते में उसका इंतजार कर रही थी. उन्हें चार जून को बेटी का कन्यादान करना था, लेकिन इसके पहले ही उन्होंने […]

गांव में पसरा मातमी सन्नाटा, चार जून को बेटी की थी शादी
हथुआ : कहते हैं कि होनी को कौन टाल सकता है. किसे पता था कि शादी की तैयारी में लगे महंथ की मौत रास्ते में उसका इंतजार कर रही थी. उन्हें चार जून को बेटी का कन्यादान करना था, लेकिन इसके पहले ही उन्होंने जिंदगी को अलविदा कह दिया. इस घटना के बाद बड़ा कोइरौली गांव में मातम छा गया है.

पूरे गांव के लोग इस घटना से आहत है. महंथ की चिता को मुखाग्नि देनेवाला कोई नहीं है. महंथ की छह बेटियों में से सबसे छोटी सोना कुमारी की शादी चार जून को होनी है. इसे लेकर घर में खुशी का माहौल था. मांगलिक गीत गाये जा रहे थे, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था.

इस हादसे में उसकी पत्नी सुचित्र देवी की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है. लगातार बेहोश होने के कारण उसे अस्पताल में भरती कराया गया है. वहीं सोना कुमारी की चीत्कार से आस-पास के लोग भी रोने लगते हैं. शादी की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थी. घर में रिश्तेदार आने शुरू हो गये थे. कुछ लोगों को बुलावा भी भेजा गया था, जो रिश्तेदार शादी में शामिल होने के लिए आये थे, उन्हें महंथ की शवयात्र में शामिल होना पड़ रहा है.

अपनी बेटी के हाथ पीले करने का सपना संजोये महंथ तो इस दुनिया से चला गया, लेकिन जाते-जाते कई बड़े सवाल छोड़ गया. इसका जवाब शायद ही कोई दे सके. सबसे अहम सवाल यह है कि सारी तैयारियों के बाद अब उसकी बेटी सोना की शादी कैसे होगी?

पुलिस पर उठने लगे सवाल

जिस मोती पुर चिकटोली में महंथ सिंह की दुर्घटना हुई, उससे अनुमंडलीय अस्पताल की दूरी महज दो किमी की है. अगर महंथ को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया जाता, तो उसकी जिंदगी को बचाया जा सकता था.

अस्पताल कर्मियों के व्यवहार से यह तो साफ स्पष्ट हो चुका है कि पुलिस या अस्पतालकर्मियों के पास मानवता नाम कोई चीज नहीं रह गयी है. लगातार मिन्नतें करने के बाद भी आखिर घटनास्थल पर एंबुलेंस को क्यों नहीं भेजी गयी? क्या एंबुलेंस की सेवा आपात स्थिति में नहीं है.

जिस तरह महंथ सिंह सड़क पर पड़ा तड़प रहा, उससे तो यहीं लगता है कि सरकारी अस्पतालों की एंबुलेंस सेवाएं सिर्फ रसुखदार व्यक्तियों के लिए ही सीमित है. इतना कुछ हो जाने के बाद सूचना मिलने के बाद भी हथुआ पुलिस का विलंब से पहुंचना भी लोगों के गले नहीं उतर रहा.

आश्चर्य तो यह है कि दुर्घटना के आधे घंटे बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी. मौत के बाद लोगों ने घंटों हंगामा किया. अफरा-तफरी मची रही, लेकिन पुलिस को इसकी सूचना नहीं लगी. अगर सब कुछ सही समय पर हुआ होता, तो शायद महंथ बच जाता.
– सुरेश/अशोक –

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