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महोत्सव से मेले की ओर

महोत्सव से मेले की ओर मेले का आकार ले रहा है राजगीर महोत्सवनालंदा. खजुराहो महोत्सव के तर्ज पर आयोजित राजगीर महोत्सव अब मेले का आकार ले रहा है. शायद इसीलिए तीन दिवसीय इस महोत्सव को 15 दिवसीय किया गया है. इस महोत्सव के साथ कृषि, ग्रामश्री, पुस्तक और व्यंजन मेले को जोड़ा गया है. 1986 […]

महोत्सव से मेले की ओर मेले का आकार ले रहा है राजगीर महोत्सवनालंदा. खजुराहो महोत्सव के तर्ज पर आयोजित राजगीर महोत्सव अब मेले का आकार ले रहा है. शायद इसीलिए तीन दिवसीय इस महोत्सव को 15 दिवसीय किया गया है. इस महोत्सव के साथ कृषि, ग्रामश्री, पुस्तक और व्यंजन मेले को जोड़ा गया है. 1986 ई में शुरू हुआ यह महोत्सव लंबे सफर के बाद भी अंतराष्ट्रीय स्तर का तो नहीं बन सका, राष्ट्रीय ख्याति से भी दूर नजर आता है. पहले इस महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चुने कलाकार बुलाये जाते थे. अब बालीवुड के वैसे कलाकार भी बुलाये जाते हैं, जो आधुनिक संगीत के लिए सुप्रसिद्ध हैं. वे कार्यक्रम प्रस्तुत करने के दौरान कभी–कभी इस मंच की गरिमा भूल जाते हैं. और फुहड़ गाना गाने से भी नहीं चुकते हैं. राजगीर महोत्सव को खजुराहो महोत्सव की तरह ऊंचाई पर ले जाने की यहां चर्चाएं होती हैं. अधिकारी जोर भी लगा रहे हैं. लेकिन उसके अनुरूप काम और कार्यक्रम नहीं होते हैं. यही कारण है कि राजगीर महोत्सव में विदेशी पर्यटक किसी कोने में कभी नजर नहीं आते हैं, जबकि खजुराहो महोत्सव की दीदार के लिए विदेशी सैलानी इंतजार करते हैं. अक्सर राजगीर महोत्सव की तैयार अनान फानन में होती है. इसमें पर्यटन विभाग के अधिकारी औपचारिकता निभाने जैसा ही काम करते हैं. इस महोत्सव की तिथि में लगभग हर साल बदलाव होते रहता है, जो महोत्सव के लिए अनुकूल नहीं प्रतीत होता है. हालंकि इसवार बालीवुड और अन्य कलाकारों के अलावा श्रीलंका और भूटान के कलाकारों को अवसर प्रदान किया गया है.इस महोत्सव का आयोजन पर्यटन विभाग करता है. लेकिन, महोत्सव में पहले दिन को छोड़ विभाग के अधिकारी राजगीर में नजर नहीं आते रहे हैं.महोत्सव की पुरी जिम्मेबारी नालंदा जिला प्रशासन के कंधों पर है. डीएम से लेकर बीडीओ–सीओ तक महोत्सव को सवांरने में अपनी ऊर्जा लगा रहे हैं.राजगीर महोत्सव में वैसी भीड़ नहीं जुट रही है, जिसकी उम्मीद की जा रही थी. महोत्सव पंडाल की भी कुर्सियां बड़ी संख्या में खाली रह रही है. मेले में भी अपेक्षित भीड़ नहीं पहुंच रही है. इसका कारण है खेती गृहस्ति का समय होना. किसान धान की कटनी, रवी फसल की लगौनी आदि में लगे हैं. राजगीर महोत्सव के मौके पर पुस्तक मेला का आयोजन किया गया है. यह पुस्तक मेला महज तीन प्रकाशन के भरोसे चल रहा है. व्यंजन मेला में बिहार के मशहूर व्यंजनों के स्टॉल लगाये गये हैं. डीएम डाॅ त्यागराजन के पहल से दूसरे राज्य के खास व्यंजन के भी स्टॉल लगाये गये हैं.महोत्सव में आज ––महिला एवं बाल सेवा मंच, पटना के कलाकारों द्वारा लोकनृत्य और सुनील मिश्रा का सुगम संगीत – मुख्य मंच से––पेंटिंग, खेत रेस , रस्सी कशी और बेबी फैशन शो का आयोजन–– किला मैदान––ताईक्वांडो (बालक) – जवाहर नवोदय विद्यालय

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