पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बिहार में चार सभाएं की, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक बार भी बिहार भाजपा के किसी नेता को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर नहीं पेश किया.
इससे साफ हो गया है कि बिहार चुनाव की लड़ाई नीतीश कुमार बनाम नरेंद्र मोदी है. उन्होंने कहा भाजपा नेता सुशील मोदी को अपने डीएनए पर अक्सर शक रहता है. डीएनए की जांच और उसे सुधारने की जरुरत सुशील मोदी को है. सुशील मोदी अहंकार में इतने अंधे हो गये हैं कि उनको अब कुछ दिख ही नहीं रहा है.
हो सकता है ये सुशील मोदी में हार को लेकर इतनी बेचैनी हो गयी है कि वे कुछ समझने और कहने के लायक ही नहीं रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि 2010 के विधानसभा में जो एनडीए को जीत मिली थी, उसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. भाजपा नेता सुशील मोदी जनता को न बरगलाएं. कई जगहों पर बीजेपी का समीकरण खराब था,
लेकिन नीतीश कुमार के प्रभावी चेहरे और नेतृत्व की क्षमता ने भाजपा को जीत दिलायी थी. सुशील मोदी को अहसान मानना चाहिए नीतीश कुमार का. उनके नेतृत्व में भाजपा ने इतनी सीटों पर जीत भी हासिल की और सत्ता का स्वाद भी चखा. बिहार की मां, बेटी, बहन, बहू सभी नीतीश कुमार में आस्था रखती हैं और ये यूं ही नहीं, नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं को समाजिक सुरक्षा देने के साथ साथ उनका अधिकार भी दिया है.
आज जब एक साथ हमारे समाज की बेटियां एक रंग की ड्रेस पहन कर साइकिल से स्कूल जाती हैं तो उनके चेहरे पर स्वाभिमान दिखता है जो नीतीश कुमार ने दिया है. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी को इस बात का शक नहीं करना चाहिए कि नीतीश कुमार बिहार के लाल हैं और उनका बिहार है.
नीतीश कुमार को बिहार की जनता ने जो विश्वास दिया है और जो सम्मान दिया है उससे ही साबित हो जाता है कि कौन बिहार का है और कौन बाहर का है. बिहार विधानसभा चुनाव बिहार का चुनाव नहीं है, बल्कि ये भाजपा के विनाश का चुनाव है. इस चुनाव के बाद भाजपा के पतन का रास्ता साफ हो जायेगा, जैसे दिल्ली में भाजपा ने अपना सबकुछ गंवाया है वैसे ही बिहार में भी भाजपा का कुछ नहीं बचेगा.