भोरे : थाना क्षेत्र के खदही गांव में एक देवर-भाभी ने मिलकर एक महिला की पीट-पीट कर हत्या कर दी.
घटना के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए हत्यारों ने उसे एक गाड़ी में लाद कर यूपी भेज दिया. लेकिन गांव की दो महिलाओं की दिलेरी के कारण मृतका का शव पुलिस ने गाड़ी सहित बरामद कर लिया. इस मामले में मृतका के पिता ने दहेज के कारण हत्या कर शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की प्राथमिकी दर्ज करायी है.
हालांकि, पुलिस मौत का कारण जहर देने एवं गला दबा कर हत्या करना बता रही है. बताया गया कि विजयीपुर थाना क्षेत्र के सीता पट्टी गांव निवासी जवाहर लाल सिंह ने अपनी पुत्री रुबी कुमारी (19) की शादी 10 मई 2015 को भोरे थाना क्षेत्र के खदही गांव निवासी स्व. परमानंद भगत के पुत्र राम एकबाल भगत से की थी. शादी के बाद से ही रुबी को बाइक के लिए प्रताड़ित किया जाता था. इस मामले को लेकर एक सप्ताह पूर्व ही पंचायत हुई थी.
लेकिन इसके बावजूद भी बुधवार की देर रात रुबी की हत्या कर दी गयी. इस मामले को छुपाने के लिए गांव की महिलाओं के साथ सिसई गांव के जालिम मियां की मार्शल गाड़ी (यूपी 80 जेड – 1327) से रुबी को यह कह कर भेजा गया कि उसे सांप ने काट लिया है, जिसे इलाज के लिए यूपी भेजा जा रहा है. लेकिन रास्ते में दो जगहों पर शव को गाड़ी से फेंकने की कोशिश की गयी, लेकिन महिलाओं ने शव को फेंकने नहीं दिया. इस बीच इस घटना की सूचना मृतका के परिजनों को मिली. परिजनों ने घटना की जानकारी भोरे पुलिस को दी.
मौके पर पहुंची पुलिस ने गांव के लोगों का बयान लिया. वहीं आरोपित देवर-भाभी घर छोड़कर फरार है. पुलिस दबाव के कारण शव को ठिकाने लगाने गयी गाड़ी शव के साथ वापस आ गयी. जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया. शव को पोस्टमार्टम के लिए गोपालगंज भेज दिया गया है. इस मामले में मृतका के पिता जवाहर लाल सिंह ने उसके पति राम इकबाल भगत एवं उसकी भाभी को नामजद अभियुक्त बनाया गया है.
आठ साल के बाद भारत वापस लौटा था राम इकबाल : रुबी हत्याकांड की जांच में जुटी पुलिस सिर्फ दहेज हत्या पर ही नहीं बल्कि कुछ और बिन्दुओं पर भी जांच कर रही है. मृतका का पति राम इकबाल 8 साल के बाद खाड़ी देश से वापस भारत लौटा था. वहीं राम इकबाल का भाई राज किशोर भगत पंजाब के लुधियाना शहर में काफी लंबे समय से कंपनी में काम करता है
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राम इकबाल के भारत लौटने के बाद उसकी शादी 10 मई 2015 को रुबी के साथ हुई. उस पूरे घर में सिर्फ देवर और भाभी के सिवा कोई नहीं रहता था. पुलिस देवर-भाभी के संबंध समेत कई बिन्दुओं पर जांच कर रही है. थानाध्यक्ष सुरेश कुमार यादव ने बताया कि पूरे मामले का जल्द खुलासा कर लिया जायेगा.
संवर रही मछुआरों की जिंदगी
भागर जलाशय में होता है एल्गी का उत्पादन
प्रतिदिन होती है 70-75 हजार रुपये की आमद
सौ से अधिक मछुआरों के परिवार जुड़े हैं इस काम में
गोपालगंज. जिला के पूर्वांचल में अवस्थित भागर जलाशय जिला का हीं नहीं अपितु सारण में मछली उत्पादन का बड़ा केंद्र रहा है. इन दिनों भागर जलाशय में उगने वाले एल्गी घास यहां के मछुआरों की जिंदगी सवार रहा है. गौरतलब है कि गंडक नदी से जुड़े भागर जलाशय में मछली मारने का काम सितंबर और अक्तूबर माह में बंद रहता है .
ऐसे में इन दो माह में यहां के मछुआरे जल में उगने वाले एल्गी जो यहां दवन घास के नाम से प्रसिद्ध है उसे निकालते पीक-अप बैन घास निकाले जाते है और तीन हजार रुपये प्रति बैन बेचा जाता है. इस प्रकार प्रतिदिन भागर जलाशय से 70-75 हजार रुपये की घास बेची जा रही है.
एक पिक अप बैन घास तीन से चार मछुआरे मिल कर दो से तीन घंटा में निकाल लेते हैं. वर्तमान में प्रकृति का यह देन सौ से अधिक परिवारों के लिये बरदान साबित हो रहा है.
क्या है एल्गी घास : एल्गी घास क्लोमाइडोमोनास गु्रप के अंतर्गत आने वाले एक बहुकोशिय सरल जलीय पादप है जो अपास में चिपके होते है. इस घास में प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन, कार्बोहाइड्रेट और वसा पाया जाता है जो मछलियों के लिये सर्वोंत्तन आहार है. जानकार बताते है कि उत्तरी बिहार में इस घास का एक लौता उत्पादक स्थल है भागर जलाशय.