बिहार: मानसून की बेरूखी से जिले में धान की फसल पर असर पड़ता दिखने लगा है. धान के बिचडे सूखने लगे हैं व खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गयी है. किसान परेशान व हताश दिख रहे हैं. अहले सुबह से देर रात्रि तक किसान व उनके परिवार आसमान को निहार रहे हैं कि किधर से वर्षा हो एवं धान रोपनी शुरू हो सके. लेकिन कजरारे बादल भी अब नजर तक नहीं आ रहे. मौसम विभाग ने अभी वर्षा की संभावनाओं से इंकार नहीं किया है. वहीं कोसी के किसानों के पास इतना संसाधन नहीं कि वे डीजल पंप सेटों के सहारे धान की रोपनी कर सके एवं आगे फसल को बचा सके. किसान पिछले 20 दिनों से वर्षा की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन उनके आशा पर तुषारापात हो रहा है. तापमान दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है. ऐसे में कुछ दिन और वर्षा नहीं हुई तो किसानों के पास धान रोपनी के लिए बिचडे़ नहीं होंगे. जो किसान चाहकर भी धान की रोपनी कर सकेंगे. हालांकि राज्य सरकार ने डीजल पर अनुदान की घोषणा करके किसानों को राहत पहुंचाने का प्रयास किया है. अब देखना यह है कि इससे किसान कितना लाभान्वित हो पाते हैं. जबकि पिछले वर्ष भी समय पर अल्प वृष्टि के कारण खरीफ फसल के लिए राज्य सरकार ने अनुदान की घोषणा की थी. जिसमें लगभग 20 हजार रैयत व गैर रैयत किसानों ने आनलाइन आवेदन किया था.
अगले तीन दिन मध्यम वर्षा की है संभावना
मौसम विभाग ने आगामी तीन दिनों तक हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना जताई है. लेकिन सोमवार के तापमान को देखते नहीं लग रहा कि कहीं से भी वर्षा की संभावना है. अब तक पिछले वर्ष की अपेक्षा जुलाई महिने में वर्षा आधे से भी कम हुई है. जुलाई महीना शुरू है व अब भी किसान वर्षा का इंतजार किसान कर रहे हैं. जिससे में जिले में धान की रोपनी प्रभावित हो गयी है. जबकि जिले का मुख्य फसल धान की खेती ही है एवं धान की रोपनी जिले में वर्षा पर ही आधारित है. ऐसे में वर्षा नहीं होने से किसान आसमान की ओर वर्षा के लिए टकटकी लगाए हैं. वहीं कृषि विभाग द्वारा 20 प्रतिशत से अधिक जिले में धान की रोपनी की बात कही गयी है. लेकिन अब तक पांच प्रतिशत धान की रोपनी नहीं हो सकी है. कुछ संपन्न किसान पंप सेट के सहारे धान रोपनी में जुटे हैं. लेकिन अधिकांश किसान आज भी वर्षा का इंतजार कर रहे हैं. जो रोपनी हुई भी है वह वर्षा नहीं होने से सूखने के कगार पर हैं. कोसी क्षेत्र के किसानों में इतनी क्षमता नहीं कि वे पंपसेटों के सहारे जलते धान की फसल को बचा सके. अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र मौसम विभाग के तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में वर्षा की संभावना जताई जा रही है. जबकि इन दिनों अधिकतम तापमान में वृद्धि हो रही है.
धान के बिचडे़ लगे हैं सूखने
पिछले लगभग 20 दिनों से वर्षा नहीं होने से किसानों के हाथ पांव फुल रहे हैं. किसानों द्वारा तैयार किये गये बिचडे पानी के अभाव में खेतों में सूखने लगे हैं. जिससे किसानों की परेशानी काफी बढ गयी है. जबकि अबतक निर्धारित धान रोपनी के लक्ष्य लगभग 76 हजार हेक्टेयर के करीब आधे लक्ष्य के धान की रोपनी हो जानी चाहिये. हालात यह है कि अबतक जिले में पांच प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो सकी है. जिन किसानों ने पंपसेटों के सहारे धान की रोपनी की है. उनके चेहरे से रौनकता गायब है. उनके फसल सूखने लगे हैं. वर्षा शुरू नहीं होती है तो जिले में धान की फसल पर बडा असर पडे़गा. किसानों के तैयार धान के बिचडे़ वर्षा के अभाव में सुख रहे हैं. आज भी जिले में धान की खेती मानसून की वर्षा पर ही आधारित है एवं किसानों के जीविका का मुख्य आधार भी है. इसके अच्छे पैदावार से पूरे वर्षभर किसानों के परिवार का गुजर बसर एवं बच्चों की पढ़ाई होती है.
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भीषण गर्मी में बिजली दे रही दगा
इस बीच जारी भीषण गर्मी में बिजली विभाग का खेल भी बदस्तूर जारी है. जिससे भी धान रोपनी पर असर पड़ रहा है. सरकार की योजना हर खेत में बिजली के पंपसेट से पानी भी कोसी क्षेत्र में आधा अधूरा ही सफल हो पाया है. जिन खेतों के निकट यह सुविधा है भी तो बिजली कटौती से लाभ नहीं मिल पाता है. दिन में घंटों बिजली गुल रहती है. जिससे रोपनी कार्य प्रभावित हो रहा है. खेती के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने की जरूरत है. जिससे किसानों को लाभ मिल सकता है. लेकिन इन दिनों दिन में ही लगातार घंटों बिजली कटौती की जा रही है. जिससे किसानों को धान रोपनी में परेशानियों का सामना करना पड रहा है. दिन तो दिन रात में भी घंटों बिजली गायब रहने से लोग रतजग्गा करने पर भी विवश हैं. सरकार के 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का वादा नकारा साबित हो रहा है.
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