कुशेश्वरस्थान पूर्वी. राम कथा विश्व कल्याण दायिनी व लोक मंगलकारी है. प्रभु श्रीराम का आवरण व व्यवहार अपनाने से जीवन आनंदमय हो जाता है. ये बातें केवटगामा राम-जानकी मंदिर परिसर में श्रीसीताराम महायज्ञ के दौरान आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन शनिवार को चित्रकूट धाम के प्रसिद्ध कथा वाचक रामप्रिय दास ने कही. उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा के माध्यम से मानव जीवन में पारिवारिक संबंधों के महत्व को स्थापित किया है. यही वजह है कि रामचरित मानस में गुरु, माता-पिता, पुत्र-पुत्री, भाई-बहन, पति-पत्नी, मित्र आदि का कर्तव्यबोध व सदाचरण की सीख हमें सर्वत्र मिलती है. रामचरित मानस में श्रद्धा को भवानी व शंकर को विश्वास का प्रतिरूप मानते हुए दोनों की समवेत वंदना की गयी है. उन्होंने कहा कि परमात्मा से जुड़ने के लिए श्रद्धा व व्यवहार ही तो साधन बनता है. राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता है. संशय दूर होती है और मन में शांति व मुक्ति मिलती है. भगवान श्रीराम का प्रिय बनना है तो हनुमान के चरित्र से सीख लेनी होगी. कथा के अंत में भगवान श्रीराम चारों भाई, माता जानकी व राम भक्त हनुमान की भव्य आरती की गयी. श्रीराम कथा के दौरान बीच-बीच में प्रसंग आधारित संगीतमय भजन-कीर्तन से श्रोता मंत्रमुग्ध होते रहे. इधर, प्रचंड धूप एवं गर्मी की तपिश से बचने के लिए अहले सुबह से ही यज्ञशाला की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगती है. धूप की तपिश बढ़ने पर परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी घटने लगती है. 10 बजते बजते यज्ञ परिसर वीरान हो जाता है. फिर शाम होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. देर रात तक यज्ञ परिसर में मेला का नजारा देखने को मिलता है. इस दौरान लोग मेले में सजी विभिन्न प्रकार की दुकानों पर अपनी पसंदीदा की सामग्रियों की खरीदारी करते एवं खाने-पीने की वस्तुओं का जमकर लुत्फ उठाते हैं. वहीं बच्चे व किशोर तरह-तरह के झूले का आनंद उठाते हैं.
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