बेनीपुर. सहकारिता विभाग की लचर व्यवस्था के कारण धान व गेहूं अधिप्राप्ति केन्द्र दम तोड़ता जा रहा है. सरकार ने सहकारिता विभाग के माध्यम से पैक्स का गठन कर सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर पर किसानों से धान व गेहूं की खरीद की व्यवस्था की, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण वह व्यवस्था हांफ रहा है. अधिकांश पैक्स अध्यक्ष धन एवं गेहूं खरीदने से मुंह मोड़ने लगे हैं. इसकी मुख्य वजह एसएफसी व मिलर हैं, जिनके बीच पैक्स अध्यक्ष पिस रहे हैं. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि धान खरीद किये सात माह गुजर चुके हैं, लेकिन अभी तक अधिकांश पैक्स के गोदाम में धान पड़ा ही है. गोदाम के अभाव में एसएफसी चावल नहीं ले रहा है. इसी बहाने पैक्स से मिलर धान नहीं ले रहे हैं. परिणामस्वरूप अधिकांश पैक्स गोदाम में आज भी कई लॉट का धान पड़ा है. बेवजह पैक्स को इसका सूद भरना पड़ रहा है. लिहाजा पैक्स घाटे में जा रहा है. इस दिशा में सहकारिता विभाग की कोई पहल धरातल पर नजर नहीं आ रही है. बताया जाता है कि इसी कारण से वर्तमान में 22 पैक्स में मात्र पांच पैक्स अध्यक्षों ने धान की खरीद की. बांकी पैक्स का धान कल्याणपुर स्थित जरिसों पैक्स सह मिलर ने ही खरीद की है. यही कारण है कि गेहूं अधिप्राप्त आरंभ हुए डेढ़ माह से अधिक बीत जाने के बावजूद अभी तक प्रखंड के एक भी पैक्स ने एक छटांक गेहूं की खरीद नहीं की है.
धान खरीद के आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रखंड के शिवराम, बहेड़ा, हाविभौआर, तरौनी व सझुआर ने 23 लॉट, तो अकेले जरिसों पैकस ने 50 लॉट धान की खरीद की. हालांकि इसके बाद से अधिकांश पैक्स अध्यक्ष एसएफसी को चावल देने के लिए मिलर एवं एसएफसी प्रबंधन की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं.धान खरीद की प्रक्रिया
सहकारिता विभाग के निर्देश पर सभी पैक्स को इस बार चार से पांच लॉट धान खरीद के लिए सीसी दिया गया. एक लॉट में 422. 25 क्विंटल धान खरीद करना है. इसके एवज में सहकारिता विभाग से 12 प्रतिशत सूद पर नौ लाख 25 हजार का सीसी दिया जाता है, जो धान खरीद के साथ ही किसान को भुगतान कर दिया जाता है. अब संबंधित मिलर को एक लॉट धन से 270 क्विंटल चावल एसएफसी को देना है. एसएफसी उसके बदले पैक्स को कमिशन सहित नौ लाख 80 हजार भुगतान करेगा, लेकिन एसएफसी गोदाम नहीं होने की बात कह मिलर से समय पर चावल नही ले रहा. जब तक एसएफसी चावल जमा नहीं लेगा तब तक पैक्स को सूद भरना पड़ता रहेगा. उन लोगों का की सरकार द्वारा धान खरीद पर मिलने वाले कमिशप का 75 से 80 प्रतिशत सूद मिलर और एसएफसी के बिचौलियों को देना पड़ जाता है. कुल मिलाकर यह घाटे का व्यापार बनकर रह गया है.जिला का चावल में जिला में ही खपत करने पर दूर होगी समस्या
इस संबंध में पूछने पर एसएफसी के जिला प्रबंधक मुकेश कुमार ने बताया कि जिला में मात्र तीन उसना चावल का मिल है. इस कारण मीनिंग काम हो रहा है. साथ ही स्टोर की क्षमता भी कम है. वैसे इसके लिए फिलहाल में बिठौली पैक्स के गोदाम का एग्रीमेंट किया गया है जहां कल से भंडारण किया जाएगा. जिला में खरीद किए गये चावल का मात्र 50 से 60 प्रतिशत ही मुख्यालय से जिला को आवंटित किया जा रहा है. इस कारण प्रति माह खरीद के 50 से 40 प्रतिशत चावल गोदाम में ही रह जाता है. इसके बदले 40 से 50 प्रतिशत आवंटन बाहर से कर दिया जाता है. लिहाजा यह समस्या उत्पन्न हो रही है. इसके लिए डीएम के माध्यम से मुख्यालय को भी पत्र लिखा गया है. यदि शत-प्रतिशत जिला का चावल जिला में आवंटित कर दिया जाए, तो यह समस्या नहीं होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है