कुशेश्वरस्थान. हथौड़ी बसौल गांव में महंत रामकृष्ण दास के नेतृत्व में हनुमंत शिव प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के क्रम में श्रीमद् भागवत कथा का शुक्रवार को समापन हो गया. अंतिम दिन कथावाचक रवीन्द्र शास्त्री ने कृष्ण-सुदामा की मित्रता प्रसंग को सुनाया. कहा कि कृष्ण व सुदामा की मित्रता बचपन में शुरू हुई, जब वे ऋषि संदीपनी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. दोनों एक-दूसरे के साथ बहुत घुलते-मिलते थे. इससे उनके बीच गहरी दोस्ती हो गयी. पूरी कथा कहते हुए शास्त्री ने कहा कि कृष्ण ने सुदामा को बिना कुछ मांगे ही दो लोकों का वैभव प्रदान कर दिया. सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे के सुख-दु:ख में साथ रहते हैं. कृष्ण और सुदामा की दोस्ती आज भी दुनिया में प्रेम और मित्रता के प्रतीक के रूप में याद की जाती है. कथा के बीच में संगीतमय भजन की प्रस्तुति से श्रोता मुग्ध हो उठे. अंत में आरती उतारी गयी. प्रसाद का वितरण किया गया. इससे पहले नवनिर्मित मंदिर में हर-हर महादेव व बजरंंगबली के जयकारे के साथ शिवलिंग व बजरंगबली की मूर्ति को विधिवत स्थापित किया गया. आचार्य अरुण कुमार मिश्र, राजेश कुमार मिश्रा तथा राम भरोस झा ने शिवलिंग और बजरंगबली की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करायी.
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