Darbhanga News: दरभंगा. दरभंगा मेडिकल कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय 44वां सर्जन सम्मेलन बैसिकॉन के दूसरे दिन शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक गतिविधियों का आयोजन हुआ. इसमें सर्जरी के विभिन्न क्षेत्रों में चर्चा, शोध प्रस्तुतियां आदि की गयी. प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिये. लेक्चर थिएटर वन और टू में पेपर तथा पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से युवा सर्जनों और शोधार्थियों को तकनीकी जानकारी दी गयी. एएसआइ के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ प्रवीण आर सूर्यवंशी आदि को सम्मानित किया गया. पैनल डिस्कशन व लार्ज सीबीडी स्टोन पर सिम्पोजियम को प्रतिभागियों ने सराहा. एमआरसीएस वेबिनार विशेष आकर्षक रहा, जिसे डॉ कौशिक भट्टाचार्य के निर्देशन तथा रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन ऑफ एडिमबर्घ के सहयोग से आयोजित किया गया. सम्मेलन में जूनियर डॉक्टरों को बीमारी की पहचान से लेकर उपचार तक, हर चरण की गहराई से जानकारी दी गयी है.उद्घाटन समारोह में नहीं पहुंच सके गेस्ट ऑफ ऑनर सह राज्य सभा सांसद संजय कुमार झा का वीडियो संदेश प्रसारित किया गया. विशेष व्यस्तता के कारण उपस्थित नहीं होने की उन्होंने बात कही और खेद व्यक्त किया.
बड़े सर्जनों से सीधा संवाद जूनियर डॉक्टरों की करियर को देगी नयी दिशा – डॉ मनीष
दरभंगा. पटना से पहुंचे वरिष्ठ सर्जन डॉ मनीष मंडल ने बताया कि उन्होंने अपनी पढ़ाई दरभंगा मेडिकल कॉलेज से की है. इसलिए इस संस्थान और यहां के छात्रों से विशेष लगाव है. बताया कि सामान्य सर्जरी से लेकर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी तक, विभिन्न विषयों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया. कहा कि मेडिकल क्षेत्र में तकनीक लगातार विकसित हो रही है. ऐसे में विद्यार्थियों को नवीनतम पद्धतियों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. सम्मेलन में युवाओं को प्रशिक्षण, केस स्टडी और लाइव डेमो के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव कराया गया. विशेषज्ञों ने ऑपरेशन में उपयोग होने वाले आधुनिक उपकरणों, ऑपरेशन थिएटर की सुरक्षा, मरीज प्रबंधन और आपातकालीन सर्जरी की विधियों पर भी प्रकाश डाला.मोटापा से ग्रसित बच्चे हो रहे अवसाद के शिकार- डॉ साकेत
दरभंगा. बच्चों में बढ़ता मोटापा अब गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है. इसका सीधा प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. मोटापा से ग्रसित बच्चे तेजी से डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. इसे समय रहते पहचानकर उपचार करना अत्यंत जरूरी है. कॉन्फ्रेंस में आइजीआइएमएस, पटना के विशेषज्ञ डॉ साकेत कुमार ने यह बात कही. बताया कि मोटापा को हल्के में लेना बच्चों के भविष्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. कई अभिभावक घरेलू उपचार पर निर्भर रहते हैं. यदि प्रारंभिक उपाय से लाभ नहीं मिले, तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. बताया कि मोटापा केवल खानपान की समस्या नहीं, बल्कि जीवनशैली से जुड़ी जटिल स्थिति है. इससे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी, पढ़ाई में गिरावट, सामाजिक गतिविधियों से दूरी और मानसिक तनाव जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है. आधुनिक चिकित्सा पद्धति में मोटापा नियंत्रण के कई सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

