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सफलता. करतार के पता व चेहरे से अनजान थी पुलिस दरभंगा : पूर्व के शातिर अपराधी विपिन सिंह उर्फ विपिन ईश्वर उर्फ प्रोफेसर का मुख्य शूटर करतार सिंह आखिर पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया. प्रोफेसर जब आपराधिक दुनिया में चरम पर था तब उसके तीन शूटर करतार सिंह, राकेश सिंह, बबलू सिंह, दुधपीवा प्रमुख […]

सफलता. करतार के पता व चेहरे से अनजान थी पुलिस

दरभंगा : पूर्व के शातिर अपराधी विपिन सिंह उर्फ विपिन ईश्वर उर्फ प्रोफेसर का मुख्य शूटर करतार सिंह आखिर पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया. प्रोफेसर जब आपराधिक दुनिया में चरम पर था तब उसके तीन शूटर करतार सिंह, राकेश सिंह, बबलू सिंह, दुधपीवा प्रमुख था. राकेश, बबलू समेत विपिन जेल की हवा तो खा चुके थे, लेकिन कई वर्षों से फरार चल रहे करतार को भी पुलिस ने रविवार की देर शाम गिरफ्तार कर लिया. दरअसल पुलिस रिकार्ड में सही नाम-पता एवं फोटो नहीं रहने के कारण इसे गिरफ्तार करने में पुलिस सफल नहीं हो पा रही थी.
मब्बी ओपी क्षेत्र के चक्का गांव में हीरा पासवान की दिन-दहाड़े हत्या ने पुलिस की नींद हराम कर दी. वजह यह भी था कि वादी समेत अन्य लोग राजद के एक विधायक का नाम मुख्य आरोपी के साथ में लेने लगे थे.
पुलिस ने इसे चुनौती के रूप में लिया. एसएसपी सत्यवीर सिंह ने इस घटना को लेकर सदर एसडीपीओ के नेतृत्व में एक टीम गठित की. इस टीम में मब्बी ओपीध्यक्ष, टेक्नीकल सेल के दिलीप पाठक एवं सिपाही के अलावा कई पुलिसकर्मी शामिल थे. करीब दो माह से पुलिस इसे गिरफ्तार करने के लिए कई जिला की खाक छानी. आखिरकार मब्बी ओपी प्रभारी को रविवार की शाम उस वक्त सफलता मिली जब एक बक्से को लेकर करतार कहीं जा रहा था.
टेक्नीकल सेल की मदद से इस टीम के सभी सदस्य सादे लिवास में करतार तक पहुंचे. बक्से को कब्जे में लेते हुए उसे गिरफ्तार कर ओपी लाया गया. जब बक्से को खोला गया तो उसमें दो कारबाईन, एक देसी कट्टा, 177 गोली, पिस्टल एवं मैगजीन, चाकू आदि पुलिस को मिला. पुलिस को यह भी शक था कि यह करतार है या नहीं, लेकिन हथियार की बरामदगी एवं पुलिस की गहन पूछताछ के बाद साफ हो गया कि यह करतार ही है. तीन दशक बाद की यह सफलता जिला पुलिस को गदगद कर दिया.
एसएसपी ने बताया कि वर्ष 1997-98 में लहेरियासराय पेट्रोल पंप पर गोली चलाने में पहली बार करतार का नाम आया था. इसके बाद दोनार स्थित राजदूत एजेंसी, लहेरियासराय स्थित रैक प्वाइंट पर मंजीत पासवान की हत्या, डरहार गांव में अनिल झा की हत्या, कबिलपुर निवासी बाबू साहेब झा की हत्या, पंडासराय निवासी विजय महतो पर चली गोली में उसकी पत्नी की हत्या, सांसद के पूर्व प्रतिनिधि व लहेरियासराय निवासी भोला चौधरी पर दो-दो बार गोली चलाना शामिल है.
दोनार चौक से नाका नंबर 5 तक लगातार गोली चलायी गयी थी. इसमें भोला चौधरी की बोलेरो गाड़ी गोलियों से छलनी हो गयी थी. इसके अलावा कई घटनाओं में वह शामिल रहा है. मधुबनी के मुन्ना चौधरी पर भी उसने गोली चलायी थी.
ऐसे बना प्रोफेसर का शागिर्द
विपिन सिंह अपनी पढाई मारवाड़ी कॉलेज में कर रहा था. इसी बीच उसकी प्रेमिका को गुड्डू नामक लड़का ने छेड़ दिया. विपिन कुछ दिनों बाद घर से लौटकर उसे गोली मारी, लेकिन वह बच गया. इस गोली कांड के जो गवाह बने उसे भी उसके घर जाकर विपिन ने गोली मारकर हत्या कर दी. इस क्रम में विपिन को उक्त वक्त के ओपीध्यक्ष ने उसे पकड़ा. पूरी रात उसे पिटाई लगी. पुलिस पूछती रही कि तुम्हारा नाम विपिन सिंह है.
विपिन का जवाब था, नहीं मेरा नाम विपिन ईश्वर उर्फ प्रोफेसर है. आखिरकार पुलिस ने पूरी रात पूछताछ कर सुबह में छोड़ दिया. इस घटना के बाद विपिन यहां से फरार हो गया. संबंधी रहने की वजह से विपिन का आना-जाना भूषण सिंह के यहां हुआ. वहां करतार से दोस्ती हुई और करतार-विपिन के लिए काम करने लगा.
और चर्चित हो गया करतार
विपिन उर्फ प्रोफेसर का नाम इस जिला के अलावा अन्य जिला में चर्चित हो गया. ठेकेदारी पेशा में उसका प्रवेश हुआ. इंजीनियरों को धमकाना एवं टेंडर मैनेज करना उसके आपराधिक दुनिया का इतिहास बना. रंगदारी नहीं देनेवालों को राकेश, बबलू, करतार द्वारा धमकी दी जाती थी. रंगदारी से मिले पैसे को दिल्ली,
मुंबई जैसे जगहों पर जमीन खरीद कर उपयोग किया. वियर फैक्ट्री, दवा फैक्ट्री यहां तक कि मथुरा में विपिन ने तारकोल की फैक्ट्री बैठा ली़ इसी बीच विपिन ने वर्ष 2008 में तात्कालीन एसपी सुनील कुमार झा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.
साक्ष्य एवं गवाह नहीं रहने के कारण कुछ ही दिनों में जेल से बाहर निकला और समाज की मुख्य धारा से जुड़ गया. इसी बीच दुधपीवा भी अलग हो गया. करतार भी पीछे रह गया. उसने उस वक्त के सभी लोगों से दूरियां बना ली.
बड़ी घटना को अंजाम देने आया था अपराधी!
बरामद हथियार व कारतूस
पकड़ाने पर भी नहीं था विश्वास
एसएसपी के समक्ष कई कांडों का खुलासा करते हुए करतार ने कहा कि आजतक उसे किसी पुलिसवाले ने नहीं पकड़ा था, लेकिन कमाल है दरभंगा पुलिस. करतार ने कहा कि उसे तो लगा कि किसी आपराधिक गिरोह के लोगों ने पकड़ा है, लेकिन जब मब्बी ओपी पर आये तो पता चला कि पुलिस ने पकड़ा है.
प्रोफेसर के लिए चव्वनी वसूलता था करतार
पहला टेंडर विपिन ने लहेरियासराय गुदरी का लिया था. जिसमें सड़क पर ठेला या सब्जी बेचनेवालों से करतार दस पैसा, चवन्नी वसूला करता था. इसी बीच लहेरियासराय पेट्रोल पंप पर तेल लेने के क्रम में देरी होने पर विपिन ने गोली चला दी. फिर वसूली छोड़ दोनों फरार हो गये. कुछ दिन बाद फिर विपिन लौटा तो तेघरा जिला के हसनपुर गांव निवासी बबलू सिंह दुधपीववा एवं मुजफ्फरपुर जिला के मुसहरी गांव निवासी राकेश कुमार सिंह भी साथ था.
चाचा की हत्या कर अपराध की दुनिया में आया
15 साल की उम्र में ही अपने चाचा की हत्या कर करतार अपने गांव किस्तवार जिला परियारना थाना क्षेत्र के चिगनाना गांव से फरार हुआ था. करतार के पिता स्व. ज्योत सिंह को उसके चाचा ने ही गोली मारकर हत्या कर दी थी. वहां से भागकर वह कई जगहों पर ट्रक चलाया. इसी क्रम में भटकते हुए वह बछवाड़ा थाना क्षेत्र के चर्चित भूषण सिंह के यहां आ धमका और उसका बॉडीगार्ड बन गया.
राजदूत एजेंसी पर की दो बार गोलीबारी
राजदूत एजेंसी पर दो बार गोली बारी की थी. एजेंसी से रंगदारी में पैसा नहीं मिलने की वजह से अनिल झा की हत्या करा दी. बाबू साहेब हत्या में भी ठेकेदारी की वजह बतायी गयी थी. रैक प्वाइंट ठेकेदारी को लेकर घंटों गोलियां चली. इसमें मंजीत पासवान मारा गया. ठेकेदारी विवाद में ही भोला चौधरी को गोली मारी गयी थी. पंडासराय के विजय महतो पर गोली चलायी गयी,लेकिन गोली उसकी पत्नी को लगी.
पैसों का मोहताज हो गया करतार
पैसों का मोहताज करतार अलग ढंग से जीने का प्रयास कर रहा था, लेकिन एक दशक बाद आपराधिक कदम रखा ही था कि पुलिस के हत्थे चढ गया. एसएसपी सत्यवीर सिंह ने कहा कि करतार शहर में कोई बड़ी घटना को अंजाम देने वाला था. हालांकि यह जितने मामले में गुनहगार है उतने ही मामले में विपिन की संलिप्तता है.
विपिन के कहने पर ही करतार घटना को अंजाम देता था. एसएसपी श्री सिंह ने कहा कि इस गिरफ्तारी में शामिल सभी पुलिस पदाधिकारियों एवं पुलिसकर्मी को पुरस्कृत किया जायेगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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