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रोजगारोन्मुखी शक्षिा के लिए किये जाय कारगर उपाय

रोजगारोन्मुखी शिक्षा के लिए किये जाय कारगर उपायलचीली एवं असरदार शिक्षा नीति पर जोर नयी शिक्षा नीति पर प्रमंडल स्तरीय विमर्श कार्यशाला प्रारंभिक से उच्च शिक्षा के कई अनुसंशाओं पर बनी सहमति फोटो संख्या- 01परिचय- विमर्श कार्यशाला में जानकारी देते अतिथि फोटो संख्या- 02परिचय- मंचासीन अतिथि दरभंगा. प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2016 के तहत शनिवार […]

रोजगारोन्मुखी शिक्षा के लिए किये जाय कारगर उपायलचीली एवं असरदार शिक्षा नीति पर जोर नयी शिक्षा नीति पर प्रमंडल स्तरीय विमर्श कार्यशाला प्रारंभिक से उच्च शिक्षा के कई अनुसंशाओं पर बनी सहमति फोटो संख्या- 01परिचय- विमर्श कार्यशाला में जानकारी देते अतिथि फोटो संख्या- 02परिचय- मंचासीन अतिथि दरभंगा. प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2016 के तहत शनिवार को प्रमंडल स्तरीय विमर्श कार्यशाला में रोजगारोन्मुखी शिक्षा की आवश्यकता सहित कई अनुसंशाओं पर सहमति बनी. अजीम प्रेमजी फाउंडेशन फॉर डेवलेपमेंट द्वारा डायट परिसर में आयोजित कार्यशाला में प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च एवं अध्यापक शिक्षा के संबंध में कई महत्वपूर्ण सुझाव आये. नयी शिक्षा नीति के सूत्रम कार्यशाला में वक्ताओं का कहना था कि ऐसी शिक्षा नीति होनी चाहिए जो लचीली हो, किंतु असरदार हो. इस शिक्षा से ग्रामीण भारत अल्प संसाधनों के बावजूद अपनी अपेक्षाओं पर उतर सके. फाउंडेशन के राज्य प्रमुख डॉ फाल्गुनी सारंगी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य जमीनी स्तर से फीड बैक के आधार पर ऐसी शिक्षा नीति को तैयार करना है, जिसके कार्यान्वयन से जमीनी स्तर पर बदलाव लाया जा सके. फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ पल्लव कुमार ने विचारणीय विंदुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि आज विद्यालय में ठहराव व समान शिक्षा, समावेशी शिक्षा प्रणाली, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मायने और इसको फलीभूत करनेवाले कारक तथा उच्च शिक्षा की चुनौतियां और अवसर तथा शिक्षक निर्माण की चुनौती और अवसर विषय पर विचार मंथन की आवश्यकता है. कार्यशाला में कई अहम सुझाव आये. डायट के प्राचार्य डॉ सुभाष चंद्र झा ने विचार रखते हुए कहा कि पाठ्यक्रमों में आंचलिक भाषा, संस्कृति एवं कला का समावेश होना चाहिए. कार्यशाला में प्रमंडल के तीनों जिलों दरभंगा, मधुबनी व समस्तीपुर के डायट, बायट, पीटीइसी, संकुल समन्वयक, प्रखंड साधनसेवी, उच्च विद्यालय एवं महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य सहित कई शिक्षाविद हिस्सा लिये तथा नयी शिक्षा नीति के सूत्रण पर महत्वपूर्ण विचार रखे, प्रमंडलस्तरीय विमर्श कार्यशाला में डायट केे प्राचार्य एवं व्याख्याताओं के अलावा मधुबनी एवं समस्तीपुर के प्राचार्य, पीटीइसी रामपुर जलालपुर, शाहपुर पटोरी, घोरडीहा, मानू के शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ फैज अहमद, जाहिर हुसैन टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के मसूद आलम खां, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के शंभु प्रसाद, अखिलेश कुमार सिंह, एमएल एकेडमी के डॉ रानी सिंह, एलआर गर्ल्स के डॉ प्रवीण कुमार सिंह, सर्वोछय हाइस्कूल के प्रधनाध्यापक डॉ जगदीश प्रसाद गुप्ता, पूर्वांचल हाइस्कूल के प्रधानाध्यापक जगदीश भारती, समस्तीपुर से हाइस्कूल टीचयर कृष्ण कुमार उरांव आदि ने विचार रखा. वहीं उच्च शिक्षा से मिथिला संस्कृत शोध संस्थान के डॉ मित्रनाथ झा, एमआरएम के प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा, सीएम कॉलेज के हिंदी के डॉ ब्रहृमदेव कार्यी आदि ने भी विचार रखा. इस मौके पर समस्तीपुर के डीपीओ एसएसए, मधुबनी के डीपीओ आरएमएसए, बीइओ दरभंगा सदर, केवटी ने भी विचार रखा. नयी शिक्षा नीति के सूत्रण में प्रमंडल स्तरीय कार्यशाला का तीसरा पड़ाव दरभंगा प्रमंडल है. इस कार्यशाला से कई अहम सुझाव आये हैं. जिससे समेकित कर बिहार सरकार को दिया जायेगा. इस जिला मेंे उच्च शिक्षा एवं अध्यापक शिक्षा के संबंध में कई महत्वपूर्ण सुझाव आया है, जिसे राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा जायेगा. डॉ फाल्गुनी सारंगी, राज्य प्रमुख, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंटकार्यशाला में आये सुझाव 1. अध्यापक शिक्षा में विश्वविद्यालय से समन्वय की आवश्यकता 2.महाविद्यालय में प्रवेश के लिए कॉमन टेस्ट की आवश्यकता 3. विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रम में समानता 4. रोजगारोन्मुखी शिक्षा का पठन-पाठन विद्यालय स्तर से 5. शिक्षक प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम 4 वर्षों का 6. पाठ्यक्रमों में आंचलिक कला, संस्कृति एवं भाषा का समावेश 7. निपुणता आधारित शिक्षण की आवश्यकता 8. मॉनिटरिंग के छोटी इकाई आवश्यक 9. सरकारी एवं निजी भागीदारी में समन्वय10. शिक्षकों के सभी पदों पर पदस्थापन 11. आवश्यक आधारभूत संरचना एवं संसाधन की उपलब्धता 12. शिक्षण में प्रवेश का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए 13. शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में शोध एवं अनुसंधान पर ज्यादा ध्यान 14. अकादमिक संस्थानों के प्रमुख पद पर शिक्षाविदों का पदस्थापन ये रहे विचारणीय बिंदु 1. विद्यालय में ठहराव और समानता की शिक्षा 2. समान शिक्षा के अवसर और समावेशी शिक्षा प्रणाली 3. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मायने और इसको फलीभूत करनेवाले कारक 4. उच्च शिक्षा की चुनौतियां और अवसर तथा शिक्षक निर्माण की चुनौती

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