शहर के बेलबनवा मोहल्ले की है जमीन
अपर समाहर्त्ता ने दिया जांच का आदेश
दोषी पाये जाने पर गिरेगी निलंबन की गाज
भूमि को ले हमेशा उत्पन्न हो जाता है तनाव
मोतिहारी : शहर में नगर परिषद के करीब छह एकड़ भूमि का अभिलेख खोज के बाद भी नहीं मिल रहा है. इस बीच मोतिहारी अंचल कार्यालय के कर्मी व अधिकारियों ने मिलकर एक नया कारनामा कर दिखाया है. मामला है एक जमीन की दो जमाबंदी कायम कर मापी के लिए वरीय अधिकारी से अनुमति मांगने का. नियमानुसार एक जमीन की दो जमाबंदी नहीं हो सकती है. इस मामले में एक चर्चित कर्मचारी की भूमिका सामने आ रही है, जिसको ले जांच आरंभ कर दी गयी है.
उक्त कर्मी पर निलंबन की गाज गिरे तो आश्चर्य नहीं. मामला शहर के बेलबनवा मोहल्ले में सात कट्ठा 18 धूर जमीन का है. मिली जानकारी के अनुसार उक्त जमीन की जमाबंदी 1972 से दीनानाथ प्रसाद के नाम से है, जिसका वाद 81/72-73 है. लेकिन इस बीच पुरानी जमाबंदी के रहते हुए कर्मचारी ने अधिकारी को झांसा में रख या मिलीभगत कर दो वर्ष पूर्व नयी जमाबंदी सुजायत नामक व्यक्ति के नाम पर कायम कर दी है. राजस्व नियमानुसार अगर किसी व्यक्ति के नाम जमाबंदी चल रही है तो वैसे मामलों में उक्त जमीन की जमाबंदी दूसरे के नाम तभी चल सकती है जब वह जमीन विधि सम्मत ढंग से हासिल हो. इस तरह मे मामले में पुराने जमाबंदी को रद्द कर दिया जाता है. लेकिन इस मामले में अभी दोनों की जमाबंदी बना दी गयी है. अब दोनों पक्ष उक्त जमीन पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं.
खाता बदल कर सरकारी जमीन का हुआ है निबंधन : शहर के खाता एक से 12 तक का निबंधन बगैर जांच किये करने पर पाबंदी है. लेकिन भू-धंधेबाजों ने खाता 02 को खाता 22 बता निबंधन करा लिया है जो जमीन छतौनी कृषि विभाग की बतायी जाती है. मामले में जांच का आदेश भी हुआ जो अब तक ठंडे बस्ते में है.
भू-धंधेबाजों के खेल से होती है विधि व्यवस्था की समस्या : भूमि पर कब्जा और भूमि पर दावेदारी के खेल में सरकारी कर्मी व अधिकारी शामिल न हो इससे इंकार नहीं किया जा सकता. इस तरह के खेल से कई बार विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो चुकी है.
शहर व आस-पास के क्षेत्रों में कई लोगों की जाने भी गयी है. अगर समय रहते इस तरह के खेल पर विराम लगना चाहिए जैसा कि प्रबुद्ध लोगों का कहना है.
एक जमीन की दो जमाबंदी कायम कराना गंभीर मामला है. इसकी जांच कर दोषी कर्मी हो या अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई तय है. जमीन मामले में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
अरशद अली, अपर समाहर्ता, पूर्वी चंपारण