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मोतीझील सौंदर्यीकरण में अतिक्रमण है बड़ा बाधक

मोतिहारी : शहर के मोतीझील सौंदर्यीकरण को ले विभागीय पेेच के अलावे झील अतिक्रमण भी सौंदर्यीकरण में बड़ी बाधक है़ अतिक्रमण को लेकर शहर के 158 लोगों को चिह्नित कर अतिक्रमण वाद भी चलाया गया, लेकिन नतीजा अब तक ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ कर रही है़ इन अतिक्रमणकारियों में झील विकास का […]

मोतिहारी : शहर के मोतीझील सौंदर्यीकरण को ले विभागीय पेेच के अलावे झील अतिक्रमण भी सौंदर्यीकरण में बड़ी बाधक है़ अतिक्रमण को लेकर शहर के 158 लोगों को चिह्नित कर अतिक्रमण वाद भी चलाया गया,

लेकिन नतीजा अब तक ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ कर रही है़ इन अतिक्रमणकारियों में झील विकास का दारोमदार जिसके कंधों पर है वह नगर परिषद भी है़ इसके अलावे 14 अन्य सरकारी कार्यालय व संस्था है़

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 158 मामलों में 10 मामला डीएम के कोर्ट में अपील के अंतर्गत है़ 18 का विभिन्न न्यायालयों से अलग-अलग आदेश है़ शेष 130 मामले में अतिक्रमण हटाने के लिए मोतिहारी सीओ को अनुपालन आदेश दिया है़ लेकिन विभागीय स्तर पर नोटिस देने के अलावा अन्य धरातलीय कार्य नहीं किया जा सका है़
अभी झील शहर की गंदगी कर रही है अपने अंदर समाहित: वर्तमान में मोतीझील की पहचान शहर की गंदगी को अपने अंदर समाहित करनेवाले झील के रूप में हो गयी है़ भले ही लोग डल झील बनाने का डंका पीट रहे हो़
इससे एक कदम आगे झील किनारे अतिक्रमण कर मकान व कार्यालय बनाने में सरकारी महकमा आम लोगों से एक कदम आगे है़ मजे की बात तो यह है कि नगर परिषद झील किनारे अवस्थित अस्थायी व स्थायी दुकानों से राजस्व भी वसूल रही है़ यहां जांच का विषय यह है कि झील सौंदर्यीकरण की योजना करीब डेढ़ दशक से चल रही है़ फिर भी अस्थायी दुकान, मकान व सरकारी कार्यालय किसके अनापति प्रमाण पत्र के बाद बने़

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