ब्रह्मपुर. प्रखंड में अवैध नर्सिंग होम के गोरखधंधे का संचालन सरकारी अस्पतालों के आसपास से ही किया जा रहा है. दर्जनों अवैध नर्सिंग होम सरकारी अस्पताल रघुनाथपुर पास ही स्थित हैं. वहीं सरकारी अस्पतालों पर तैनात कुछ स्वास्थ्य कर्मी व आशाएं ही मरीजों को बेहतर इलाज का झांसा देकर इन्हें नर्सिंग होमो पर भेज रही हैं. सरकारी अस्पतालों के आसपास से संचालन होने के बाद भी जिम्मेदार कार्रवाई को लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. जन आरोग्य केंद्र बनाए गए हैं और यहां गैर संचारी रोगों के इलाज की व्यवस्था की गयी है. इसके बावजूद तेजी से अवैध नर्सिंग होम का गोरखधंधा फैल रहा है. देखते ही देखते प्रखंड में आठ दर्जन से अधिक गैर पंजीकृत फर्जी नर्सिंग होम खुल गये हैं. साथ ही यहां प्रतिदिन मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अकुशल लोगों द्वारा इलाज किए जाने से जहां कई मरीजों की मौत हो रही है तो वहीं कइयों को अपने हाथ पैर गंवाने पड़ रहे हैं. धड़ल्ले से बेखोफ फल फूल रहे इस गोरखधंधे का कारण सरकारी अस्पतालों पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दी जाने वाली सरपरस्ती है. विभागीय सूत्रों की मानें तो सीएचसी व पीएचसी के आसपास संचालित अवैध नर्सिंग होम से प्रति माह एक मोटी रकम दी जाती है और इसके बदले उन्हें संचालन का संरक्षण मिलता है.
जच्चा-बच्चा व प्रसूता की गयी जान : रघुनाथपुर में संचालित सुषमा नर्सिंग होम में बीते दिनों 9 दिसंबर को लापरवाही से प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी थी. उसके बाद पता चला कि उसका लाइसेंस ही नहीं है. इसके बाद 2 मई 2024 को ब्रह्मपुर में संचालित रुद्र हेल्थ केयर में भी बैजू यादव की पत्नी पिंकी देवी भी मौत हो गयी. पहले भी कई अवैध नर्सिंग होम में गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है. इसी तरह हो रही मौत के बाद प्रशासन कुंभकरणी नींद से नहीं जाग रहा है.
जांच के नाम पर कोरम पूरा : ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने झोलाछापों की शिकायत अधिकारियों पर पुलिस में न की हो, लेकिन दिखावे की कार्रवाई कर मामले से इतिश्री कर ली जाती है. पीछले साल रघुनाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास अवैध नर्सिंग में एक महिला के मौत के बाद प्रशासन की काफी किरकरी होने के बाद 29 अक्टूबर 2024 को संचालक द्वारा पंजीकरण दिखाने में असमर्थता जताने पर विश्वामित्र अस्पताल रघुनाथपुर, आर आयूष अस्पताल रघुनाथपुर, एम एस अस्पताल रघुनाथपुर व दृष्टि आंख अस्पताल केनरा बैंक के पास को सील करने के साथ ही वरीय अधिकारियों को पत्र भेजा गया था. झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उनकी क्लीनिक सील की गई, लेकिन फिर चढ़ाबा मिलने पर वे फिर से आबाद हो गयी और धड़ल्ले से संचालित हो रहीं है. नौ दिसंबर को हुई दो मौत के बाद प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं होने पर क्षेत्र में चल अवैध नर्सिंग होम धड़ल्ले से जारी है.
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क्या कहते हैं अधिकारी
किसी अस्पताल या डॉक्टर की डिग्री का जांच करने का सिविल सर्जन द्वारा आदेश दिया जाता है और इसके बाद ही जांच पड़ताल की जाती है.
डॉ कुमार जितेंद्र, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचसी, ब्रह्मपुर
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