बक्सर .
भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरितालिका तीज व्रत की तैयारियां शुरू कर दी गई है. यह त्योहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा.उतरायणी गंगा में स्नान के विशेष महत्व के चलते इस अवसर पर पावन स्नान लिए शहर के रामरेखाघाट पर दूर-दराज से महिला व्रती पहुंचती हैं और स्नान के बाद घाट पर पूजन-अर्चन कर तीज व्रत का कथा श्रवण करती हैं. लेकिन नगर परिषद की उपेक्षा के कारण इस बार रामरेखाघाट पर जमी सिल्ट व गाद से व्रतियों को स्नान में काफी फजीहत होगी. जाहिर है कि बाढ़ के कारण गंगा का पानी घाट से काफी ऊपर तक पहुंच गया था. पानी घटने के बाद घाट पर बने विवाह मंडप से लेकर फर्श तक दो से तीन फीट तक मिट्टी जम गई है. घाट पर बनी सीढ़ियां मिट्टी व कीचड़ से पूरी तरह ढंक गई हैं, जिससे फिसलन बढ़ गया है. ऐसे में व्रतियों के लिए वहां स्नान करना खतरे से खाली नहीं है.दूसरे जिलों से भी पहुंचते हैं व्रतीरामरेखाघाट पर गंगा स्नान के लिए सूबे के दूसरे जिला से लेकर उतर प्रदेश व सुदूरवर्ती इलाके से महिलाएं पहुंचती हैं और व्रत काअनुष्ठान करती हैं. जिससे घाट पर इतनी भीड़ होती है कि वहां तिल रखने तक का जगह नहीं रहता है. घाट पर आने-जाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में घाट पर जमी मिट्टी के कारण उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. यही नहीं भाद्रपद में आने वाले व्रत त्योहारों पर भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. हद तो यह है कि नगर परिषद उस मिट्टी को हटाने के प्रति पूरी तरह बेफिक्र है. इस संबंध में गंगा आरती ट्रस्ट के पुजारी अमरनाथ पांडेय उर्फ लाला बाबा ने कहा कि घाट के पौराणिक महत्ता को देखते हुए पर्व-त्योहार के अलावा भी वहां स्नान हेतु प्रतिदिन हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. लेकिन उनकी सुविधा को लेकर किसी को कोई परवाह नहीं है. जिससे लोग जिला प्रशासन को कोसते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

