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buxar news : नयी शिक्षा नीति की चुनौती व शिक्षा के बढ़ते स्तर पर हुआ सेमिनारबच्चों को पढ़ाई के साथ कौशल की जानकारी होना जरूरी : ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी

buxar news : राजपुर. प्रखंड के तियरा स्थित प्रह्लाद राय टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हॉल में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना एवं राष्ट्रगान से हुई. अतिथियों के सम्मान में प्रशिक्षु छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर सबका अभिवादन किया. सभी आगत अतिथियों को कॉलेज के सचिव डॉ मनोज कुमार ने अंग वस्त्र एवं बुके देकर सम्मानित किया. अध्यक्षता डॉक्टर रामा कुमारी एवं संचालन सहायक प्राध्यापक सुनील कुमार यादव ने किया. विचार गोष्ठी से पूर्व सभी अतिथियों ने कॉलेज की तरफ से स्मारिका का विमोचन किया. स्पेशल अतिथि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के वीसी डॉ रामकृष्ण ठाकुर ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बदलते समय के साथ शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है. इस दौर में सभी को उसमें आगे आने की जरूरत है. विषय बिंदु पर आर्यभट्ट विश्वविद्यालय के डॉ ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी ने कहा कि नयी शिक्षा नीति 2020 यह हमें बताती है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ कौशल की जानकारी होना चाहिए. बदलते दौर में पढ़ाई का स्वरूप भी बदलना चाहिए. एआइ के दौर में छात्रों को उसके अनुरूप पाठ योजना होना चाहिए. पाठ योजना, शिक्षण योजना भी अलग होनी चाहिए. हमारी जो ज्ञान परंपरा स्वध्याय है उसको जीवंत रखने की भी जरूरत है. जिस तरह से गांव का एक कुम्हार विज्ञान के सभी पहलुओं का उपयोग कर कई खूबसूरत बर्तन का निर्माण करता है. भले ही इसका उपयोग किताब के लिए न हो. साहित्य का समावेशन वर्तमान शिक्षा में होना चाहिए. असम से सेंट्रल केंद्रीय विश्वविद्यालय मणिपुर के प्रोफेसर डॉक्टर टी इन्ना बोई सिंह ने कहा कि नयी शिक्षा नीति लोगों के लिए काफी चुनौती भरा है. इस चुनौती में छात्रों को पढ़ाई के साथ हर कौशल की जानकारी देना जरूरी है. सरकार ने प्राथमिकता के तौर पर यह पहल की है कि छोटे बच्चों को उसकी मातृभाषा में पढ़ाई की शुरुआत की जायेगी. मुख्य अतिथि एनसीआरटी के पूर्व निदेशक भुवनेश्वर के डॉ हृषिकेश सेनापति ने कहा कि वर्ष 2020 में लागू हुई यह शिक्षा नीति ने पांच वर्ष पूरा कर लिया है. इससे पहले भी कई शिक्षा नीति बनायी गयी थी. यह नीति छात्रों के हित में रखकर बनायी गयी है. अपने देश को सुपर नॉलेज बनाने का प्रयास है. भारत की अपनी प्राचीन परंपरा रही है. आधुनिक शिक्षा के साथ अपनी संस्कृति को भी जानना जरूरी है. बिहार शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में पहचान दिलाने वाला है. यहां नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय रहा है. ऐसी पहचान के लिए अभी और बदलाव की जरूरत है. मौके पर डॉक्टर जयप्रकाश, डॉ मोहिनी कुमारी, डॉ उषा सिंह, रविंद्र कुमार सिंह, जितेंद्र बहादुर सिंह, रामवीर सिंह के अलावा अन्य लोग मौजूद रहे.

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