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फाइल-9- पंचायतों में स्वच्छता अभियान का नहीं दिख रहा असर रसेन व देवढिया में नहीं हो रहा कचरे का उठाव

पंचायतों में स्वच्छता अभियान का नहीं दिख रहा असर रसेन व देवढिया में नहीं हो रहा कचरे का उठाव

21 जुलाई- फोटो-11- देवढिया सूर्य मंदिर के पास डस्टबीन में पड़ा कचरा राजपुर :- प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में स्वच्छता अभियान का असर नहीं दिख रहा है.स्वच्छता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.सभी के घरों में सूखे एवं गीले कचरे को रखने के लिए लाखों रुपये खर्च कर डस्टबिन दे दिया गया है.इन कचरों को नियमित नहीं हटाया जा रहा है.डस्टबिन कचरे से भरा हुआ है.जिसका उदाहरण देवढिया सूर्य मंदिर ,दलित बस्ती एवं अन्य जगहों पर देखा जा सकता है.विभाग के तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कई महीने से कचरा प्रसंस्करण इकाई का निर्माण किया जा रहा है.जहां सभी ठोस एवं तरल कचरो को अलग-अलग रखना है. इसके निर्माण के लिए राशि निर्गत के बाद भी रसेन एवं देवढिया पंचायत में अभी तक जमीन नहीं मिल पाया है. अंचल के कर्मी लगातार खोज कर रहे हैं. फिर भी अब तक जमीन उपलब्ध नहीं होने से कचरा हाउस का निर्माण नहीं हुआ है. शेष अन्य पंचायत में निर्माण का कार्य चल रहा है.पिछले कई महीनो से राशि का अभाव होने से इसके कार्य में कमी हो गयी है.कचरे का नियमित उठाव नहीं हो रहा है. स्वच्छता मिशन टू अभियान के तहत 15 पंचायत में कचरा उठाव का भी काम शुरू कर दिया गया है. जिसके लिए स्वच्छताग्रही की भी नियुक्ति की गई है. जिन्हें प्रत्येक वार्ड के लिए एक ठेला गाड़ी एवं एक ई रिक्शा भी दिया गया है.घर-घर जाकर सुखे एवं गीले कचरे का उठाव कर कचरा प्रबंधन हाउस में इकट्ठा करना हैं. अभियान की शुरुआती दौर में आम जनों के बीच जागरूकता पैदा कर गांव को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया गया. जिसका असर गांव में भी दिख रहा है.गांव के लोग भी अब साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.कचरा प्रबंधन के लिए लगभग आठ पंचायत में कचरा प्रबंधन हाउस भी बनकर तैयार हो गया है. जहां विभिन्न प्रकार के कचरों को अलग-अलग बने जगहों में रखा गया है.अभी तक पुनः निस्तारण के लिए इन कचरो को दूसरे जगह पर नहीं भेजा गया है. कई महीनो से काम कर रहे स्वछताकर्मियों को भी वेतन नहीं मिल रहा है. ऐसे में कार्य की गति बहुत धीमी हो गई है. सरकार के तरफ से चयनित पंचायत में कचरा उठाव के लिए प्रति घर से ₹30 प्रतिमाह स्वच्छता शुल्क भी लेना था. यह शुल्क महज कुछ ही पंचायत में लिया जा रहा है. अन्य पंचायत में इसकी वसूली का काम बहुत धीमी गति से है. ग्रीन एवं क्लीन पंचायत बनाने के लिए सरकार पूरी तरह से संकल्पित है.

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