buxar news : ब्रह्मपुर. गोकुल जलाशय ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है, लेकिन इसका प्रभाव अभी तक जमीनी स्तर पर देखने को नहीं मिल रहा है.
14 किमी में चक्की से लेकर नैनीजोर तक यह फैला है. एनपीसी योजना के तहत 12 मार्च, 2024 को इसका शिलान्यास पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. अब तक कोई कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. रामसर साइट पर आने व नयी सरकार से अब लोगों की उम्मीदें जगी हैं. रामसर साइट में शामिल होने के बाद अन्य राज्यों और देशों के पक्षी विशेषज्ञों का आना-जाना शुरू हुआ है, इसके बावजूद अभी तक यहां विकास कार्यों की रफ्तार धीमी है. रामसर साइट में शामिल होने के क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी. लोगों की उम्मीदें रोजगार और पर्यटन विकास के साथ जुड़ गयी थीं. विश्व पर्यावरण दिवस पर गोकुल जलाशय को रामसर सूची में शामिल किया गया था. क्षेत्र के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है.गोकुल जलाशय का इतिहास व लोगों की उम्मीदें
गोकुल जलाशय का कुल क्षेत्रफल 14 किमी है, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी हर साल पहुंचते हैं. मछुआरों के लिए एक जीविका का साधन है. वन विभाग द्वारा अब हजारों पौधे लगने से हरी-भरी हो चुकी है. यहां का शांत वातावरण, हरियाली और पानी पक्षियों के लिए प्राकृतिक रूप से उपयुक्त माना जाता है. शांति, एकांत, भोजन और प्राकृतिक व्यवस्था होने के कारण हर साल प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ रही है. रामसर साइट में जुड़ने से देश और राज्य के पक्षी विशेषज्ञों का आना शुरू हो गया है. स्थानीय लोगों के लिए आशा का केंद्र बन चुकी है. गांव के लोग पर्यटन बढ़ने से रोजगार, होटल उद्योग, स्थानीय उत्पादों और पर्यटन व्यवसाय के अवसरों की उम्मीद लगाये बैठे हैं. इधर वन विभाग के रेंजर सुरेश कुमार ने कहा कि गोकुल जलाशय का रामसर साइट के रूप में विकसित करने के लिए राशि अभी तक आवंटित नहीं हुई है. राशि आवंटित होते ही विकास का कार्य शुरू कर दिया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

