buxar news : बक्सर. किसानों की सिंचाई व्यवस्था सुधारने और खेतों तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से लघु सिंचाई विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना जिले में किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आयी थी.
इस योजना के तहत निजी नलकूप लगाने वाले किसानों को सरकारी अनुदान का लाभ देने का प्रावधान है. लेकिन, विडंबना यह है कि योजना की प्रक्रिया के बीच में ही विभाग के पोर्टल को बंद कर दिये जाने से बड़ी संख्या में किसान अनुदान से वंचित रह गये. विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में कुल 841 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया था, परंतु इनमें से 457 किसान आज भी अनुदान प्राप्त होने का इंतजार कर रहे हैं. जबकि विभागीय जानकारी के अनुसार विभाग की बेवसाइट पर जिले के 841 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसमें विभाग द्वारा 836 किसानों के स्थल की भी जांच की गयी थी. इसके उपरांत 702 की स्वीकृति भी प्रदान की गयी थी.इसके बाद 397 लोगों ने दावा किया था. 305 किसानों ने नलकूप लगा लिया, लेकिन जैसे दावा करने के लिए विभाग की वेबसाइट पर गये, तो पोर्टल बंद कर दिया गया था. इसकी वजह से न तो वे दावा कर रहे और न ही उन्हें अनुदान की राशि ही प्राप्त हो रही है.
आवेदन से लेकर स्वीकृति तक प्रक्रिया पूरी, अंतिम चरण में फंसा मामला
विभागीय जानकारी के अनुसार, जिले के विभिन्न प्रखंडों से किसानों ने विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के बाद आवेदन करना शुरू किया. कुल 841 किसानों ने आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन जमा किया, जिसमें से 836 किसानों का स्थल निरीक्षण भी विभाग द्वारा पूरा कर लिया गया. यह माना जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर निरीक्षण कार्य होना ही विभाग की गंभीरता को दर्शाता है, लेकिन प्रक्रिया अंतिम चरण तक पहुंचते-पहुंचते रुक गयी. इसके बाद विभाग ने 702 किसानों के निजी नलकूप स्थापना के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की. इसके बाद किसानों को निर्देश दिया गया कि वे अपने स्तर से नलकूप स्थापित करें और फिर विभागीय पोर्टल पर दावा अपलोड कर अनुदान के लिए आवेदन करें. यही वह चरण था जहां योजना की गति अचानक थम गयी.397 किसानों ने दावा दाखिल किया, 305 ने नलकूप भी लगा लिया
स्वीकृति मिलते ही किसानों ने तेजी से काम किया, विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि 397 किसानों ने पोर्टल पर दावा दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इनमें से कई किसानों ने अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कर्ज लेकर भी नलकूप लगाने का साहस किया. वास्तविक स्थिति यह है कि 305 किसानों ने नलकूप स्थापित कर भी लिया, यानी उन्होंने योजना की सारी शर्तों का पालन भी किया और अपनी जेब से भारी खर्च उठाया. लेकिन जैसे ही वे अपनी अनुदान राशि प्राप्त करने के लिए पोर्टल पर दावा अपलोड करने की प्रक्रिया में आगे बढ़े. उन्होंने पाया कि पोर्टल अचानक बंद कर दिया गया है. नतीजतन, न तो वे अपना दावा अपलोड कर पा रहे हैं और न ही उन्हें अब तक सरकार की ओर से कोई अनुदान राशि मिली है. जिन किसानों ने नलकूप स्थापित कर लिया है, वे अब लगातार विभागीय कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. किसानों का कहना है कि यदि विभाग ने पोर्टल बंद करना ही था, तो कम से कम पहले से स्वीकृति प्राप्त किसानों को इसका विकल्प दिया जाना चाहिए था. कई किसानों का कहना है कि उन्होंने नलकूप लगाने के लिए 1.5 से 2 लाख रुपये तक खर्च किये हैं. ऐसे में अनुदान राशि न मिलने से उनके ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है.457 किसान अनुदान से वंचित, सवालों के घेरे में विभाग
कुल 702 स्वीकृत किसानों में से 305 ने नलकूप लगा लिया है, 397 दावा करने की प्रक्रिया में थे, लेकिन 457 किसानों का मामला पोर्टल बंद होने के कारण बीच में ही अटक गया. इन किसानों के लिए अब तक न कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है और न ही विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि पोर्टल फिर से कब खुलेगा. किसानों का आरोप है कि विभाग द्वारा पोर्टल बंद किये जाने की सूचना न तो समय पर दी गयी और न ही इसके कारणों को स्पष्ट किया गया. इससे योजना की पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं. इधर लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुमार ने कहा कि विभाग द्वारा जून माह में ही पोर्टल बंद कर दिया गया, जिसकी वजह से आगे की प्रकिया नहीं हो पा रही है. जैसे ही पोर्टल खुलेगा, वैसे ही नया आवेदन भी लिया जायेगा. साथ ही पुराने आवेदक को अनुदान की राशि मुहैया करा दी जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

