बक्सर
. होली में चार दिन ही शेष हैं. सो त्योहार पर पूरी तरह होलियाना रंग चढ़ गया है. जिला मुख्यालय स्थित शहर से लेकर गांव-कस्बों के बाजारों तक में चहल-पहल बढ़ गया है. होली के सामानों से सजकर बाजार पूरी तरह तैयार हैं तो दुकानों पर खरिदारों की भरमार होने लगी है. किराना की दुकानों से लेकर कपड़ों की दुकानों पर खरिदारों की भीड़ जुटने लगी है. जिससे खरीदारों को खाने-पीने तक की फुर्सत दूभर हो गया है और देर रात तक व्यस्त रह रहे हैं. होली पर खरीदारों को लुभाने के लिए व्यवसायियों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा है. लिहाजा एक से बढ़कर एक पिचकारी से लेकर विभिन्न तरह के रंग-अबीर तथा मुखौटा व टोपी से दुकानें सजाए हुए हैं. पिचकारी व मुखौटों की खरीदारी को लेकर बच्चे काफी उत्साहित हैं. फाउंटेन पिचकारी व पिस्टल पिचकारी से लगायत स्पाइडरमैन, छोटा भीम, मोटू-पतलू, डोरेमोन व सुपरमैन आदि पिचकारियों की डिमांड ज्यादा हैं. बच्चे हों या बड़े सभी को इस तरह की पिचकारियां खूब भा रही हैं. इस तरह की पिचकारियों की पिछले साल भी खूब मांग थी. लिहाजा इस बार दुकानदारों द्वारा ऐसी पिचकारियों का पर्याप्त स्टाॅक रखा गया है.भूत-प्रेत, बंदर-भालू के मुखौटेबाजारों में होली के लिए पिचकारी, मुखैटे, बाल, रंग-गुलाल आदि की भरमार है. सबसे अधिक पिचकारी बिक रही है. इसके अलावा स्टेन गन, शेर, भालू, शैतान, मलिंगा बाल व चोटी भी खूब बिक रही है. वही एयर प्रेशर, भोपू पाइप, म्यूजिकल रंग भोपू पाइप आदि से बाजार पटे हैं.देशी सामान की बढ़ी मांग पहले जहां बच्चों के खिलौने व पिचकारियों की आवक चीन से होती थी. वहीं इस बार स्वेदश निर्मित सामानों की खपत ज्यादा है. व्यवसायियों की माने तो गत दो-तीन वर्षों से देशी मेड सामानों की मांग हो रही है. ये सामान दिल्ली व कोलकाता आदि जगहों से मंगाए गए हैं. हर्बल व केमिकल युक्त रंग व गुलाल भी बाजार में उपलब्ध है. दुकानदार मोहन कुमार ने बताया कि उनके पास 20 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक के पिचकारी हैं तो 20 रुपये से लेकर 200 रुपये तक के मुखौटे, जबकि 60 रुपये से लेकर 500 रुपये कीमत के बाल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है