डुमरांव
. मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सुरक्षित शनिवार की वार्षिक योजना के अनुसार मार्च माह के दूसरे शनिवार को चक्रवाती तूफान व आंधी से होने वाले खतरे और उनके बचाव के उपायों पर विद्यालय में चेतना सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में छात्रों और शिक्षकों को चक्रवात और आंधी-तूफान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयी, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सुरक्षित रह सकें.सत्र के दौरान फोकल शिक्षक तबरेज आलम ने आंधी-तूफान के कारणों, खतरों और सावधानियों के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि आंधी-तूफान गरज, बिजली और तेज़ हवाओं के साथ आते हैं, जो कभी-कभी जान-माल की भारी क्षति का कारण बनते हैं. उन्होंने बताया कि आंधी और तूफान के निर्माण के लिए तीन मुख्य कारक जिम्मेदार होते हैं—नमी, गर्म हवा और हवा के तेज़ गति से ऊपर उठने की प्रक्रिया. बढ़ते तापमान के कारण गर्म हवा ऊपर उठती है और तेज़ गति की हवाएं बनती हैं, जो आंधी का रूप ले सकती हैं.बचाव के उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आंधी-तूफान के दौरान खुले स्थानों पर न रहें, ऊंचे पेड़ों और टावरों के नीचे खड़े होने से बचें, जल निकायों से दूर रहें और किसी मजबूत इमारत के अंदर शरण लें. यदि कोई व्यक्ति बाहर है और पास में कोई ठोस संरचना उपलब्ध नहीं है, तो उसे नीचे झुककर सिर को अपने हाथों से ढंक लेना चाहिए. चक्रवात के कारण व प्रभाव : प्रधानाध्यापक इंद्रेश कुमार मिश्रा ने चक्रवातों के निर्माण और उनके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि चक्रवात समुद्र में कम दबाव के कारण उत्पन्न होने वाले तेज़ हवाओं के घेरे होते हैं, जो भारी बारिश और तूफानी लहरों के साथ तटीय इलाकों में तबाही मचा सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जब जल वाष्प वायुमंडल में ठंडा होकर तरल में बदलता है, तो यह अपने आसपास की हवा को गर्म कर देता है. इससे हवा ऊपर उठती है और कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो चक्रवात की उत्पत्ति का मुख्य कारण बनता है. चक्रवात के खतरों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि ये तेज़ हवाओं, भारी बारिश और समुद्री लहरों के रूप में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते हैं. तेज़ हवाओं से पेड़, इमारतें और बिजली के खंभे गिर सकते हैं, जिससे जान-माल की हानि हो सकती है. समुद्री लहरें किनारों पर बसे इलाकों में घुसकर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर सकती हैं, जिससे हजारों लोग बेघर हो सकते हैं और पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो सकती है. आपदा से बचाव के लिए विद्यालय में किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की गई. इसमें तूफान आश्रयों का निर्माण, वनीकरण को बढ़ावा देने, सुरक्षित मार्गों की पहचान करने और आपदा के प्रति जन जागरूकता फैलाने पर बल दिया गया. इसके अलावा, उपग्रह और रडार तकनीक का उपयोग करके चक्रवात की पूर्व चेतावनी प्राप्त करने के महत्व पर भी चर्चा हुई, ताकि लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर जा सकें. सत्र के अंत में बाल मंत्रियों आयुष, कार्तिक, सरोज, प्रियल राज, डिम्पल, सुधा, कृष, देव प्रकाश और शिक्षा सेवक रहमतुल्लाह की उपस्थिति में एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अपनाई जाने वाली सुरक्षा प्रक्रियाओं का अभ्यास किया. यह चेतना सत्र छात्रों और शिक्षकों के लिए अत्यंत उपयोगी रहा, जिससे उन्हें आंधी-तूफान और चक्रवात से बचाव की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुईं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

