बक्सर कोर्ट. बक्सर केंद्रीय कारा के सभागार में आयोजित मानवाधिकार दिवस के अवसर पर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नेहा दयाल ने अपने संबोधन में कहा कि जन्म के साथ ही प्रत्येक मानव को मानवाधिकार प्राप्त हो जाता है और यह अधिकार आजीवन चलता रहता है. उन्होंने कहा कि चाहे कोई व्यक्ति जेल में हो या बाहर, उसे मानवाधिकार की सुरक्षा का समान अधिकार प्राप्त है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बंदियों के विधिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए अधिवक्ता नियुक्त किये गये हैं, जिनके माध्यम से वे अपनी समस्याओं को प्रस्तुत कर उसका निदान प्राप्त कर सकते हैं. कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत न्यायाधीश, जेल सुपरिटेंडेंट ज्ञानिता गौरव, पुलिस उपाधीक्षक पंकज सिंह, जेलर संदीप कुमार वर्मा और अन्य अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गयी. इस अवसर पर बंदियों ने अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अतिथियों का मनोबल बढ़ाया. जेल सुपरिटेंडेंट ने मानवाधिकार दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकार किया गया. उन्होंने बताया कि मानव के जन्मजात गौरव, सम्मान और अधिकार विश्व शांति, न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद हैं. डीएसपी पंकज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कई निर्दोष व्यक्ति गलती से जेल में आ सकते हैं. उन्होंने जनता को सतर्क रहने की सलाह दी कि किसी भी घटना में अपने साथ के लोगों का व्यवहार और नियमों का पालन सही ढंग से जांच-पड़ताल करें, क्योंकि अन्यथा वे अनजाने में किसी घटना में संलिप्त माने जा सकते हैं. कार्यक्रम में जेल के अधिकारी राघवेंद्र प्रसाद सिंह, सुधीर कुमार, संजय कुमार, सुश्री रेशम, चीफ विनय कुमार सिन्हा, पैनल अधिवक्ता संजय कुमार चौबे, कुमार मानवेंद्र, प्रमोद कुमार मिश्रा, राजेश कुमार, विष्णुदत्त, शत्रुघ्न सिन्हा समेत कई पैनल अधिवक्ता, पीएलबी और न्यायालय कर्मी उपस्थित रहे. कार्यक्रम के माध्यम से बंदियों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया गया और मानवाधिकार के संरक्षण की महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गयी.
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