buxar news : बक्सर. बक्सर बाढ़ प्रमंडल कार्यालय के कर्मियों के लिए बना आवास बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. अधिकांश भवन जर्जर हो चुके हैं. मरम्मत के अभाव में कभी भी हादसा हो सकता है. इस कारण इन भवनों में रहने वाले लोग असुरक्षा के आतंक के साथ पानी के लिए भी जूझते हैं. सभी क्वार्टरों की खिड़की और दरवाजे में दीमक लग गये हैं. पर्याप्त रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुके हैं. लिहाजा यहां अक्सर चोरी की घटनाएं होती रहती हैं. कर्मचारियों के लिए बने क्वार्टरों की जलनिकासी की व्यवस्था भी ध्वस्त हो चुकी है. जिस कारण हल्की बारिश होने पर भी क्वार्टरों के परिसर पानी से लबालब भर जाते हैं. शौचालय की स्थिति भी जर्जर है. नतीजा कर्मचारी दूसरी जगह शौच करने जाने के लिए विवश हो जाते हैं. साफ-सफाई के अभाव में क्वार्टरों में गंदगी पसरी है. इस संबंध में बाढ़ नियंत्रण के कार्यपालक अभियंता कन्हैया कुमार ने कहा कि क्वार्टरों की मरम्मत का प्राक्कलन बनाकर विभाग को भेज दिया गया है. मगर अभी तक विभागीय अनुमति नहीं मिली है. लिहाजा मरम्मत का कार्य ठप है. इनकी माने, तो कुछ कमरे मरम्मत के लायक हैं, तो कुछ कमरे पूरी तरह से जर्जर होकर गिर रहे हैं, जिसे पुनर्निर्माण कराने की जरूरत है. अधिकारियों व कर्मियों के लिए कुल छह श्रेणी के क्वार्टर बने हुए हैं. ए श्रेणी के क्वार्टर में चार क्वार्टर खराब हैं, जबकि कुल क्वार्टरों की संख्या पांच है. बी श्रेणी के क्वार्टर भी मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुके हैं, जबकि सी श्रेणी का एक भी क्वार्टर कर्मचारियों के रहने लायक नहीं है. दो क्वार्टर में मरम्मत कराने की जरूरत है. वहीं, डी श्रेणी के क्वार्टर में चार मरम्मत के अभाव में ध्वस्त हो रहे हैं. महज एक क्वार्टर ही रहने लायक है. जबकि, इ श्रेणी के कुल सात क्वार्टर हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो गये हैं. एफ श्रेणी के 15 क्वार्टर के जंगला-शीशा, खिड़की सड़ गये हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

