बक्सर. गंगा व सहायक नदियों के तटीय इलाके के लिए राहत की खबर है. क्योंकि लाल निशान पार करने के बाद गंगा का जलस्तर स्थिर हो गया है. इससे जिले से होकर प्रवाहित गंगा व कर्मनाशा एवं ठोरा समेत अन्य सहायक नदियों के कछारी क्षेत्रों में राहत की उम्मीद जग गई है. गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी होने से मैदानी क्षेत्रों में पानी का तेजी से फैलाव होने के चलते प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की चिंता बढ़ गई थी. केन्द्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार की सुबह 60.39 मीटर पर पहुंचने के बाद खड़ा हो गया है. बुधवार को मध्याह्न 12 बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 60.32 मीटर पर पहुंचने के बाद शाम पांच बजे 60.34 मीटर दर्ज किया गया था. जाहिर है कि बक्सर में चेतावनी बिंदु 59.32 मीटर तथा खतरे का निशान 60.32 मीटर निर्धारित है. प्रभावित इलाकों में जन-जीवन प्रभावित गंगा के तटीय क्षेत्रों में पानी बढ़ने से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. गंगा के जलस्तर का दबाव बढ़ने से कर्मनाश का पानी चौसा-मोहनिया सड़क पर बह रहा है. जिससे आवागमन में लोगों की परेशानी हो रही है. तटीय क्षेत्र के खेत में खड़ी फसल भी डूबने से बर्बाद हो गई है. बक्सर शहर स्थित रामरेखाघाट समेत अन्य गंगा घाटों की सीढ़ियां परी तरह डूब गई हैं और नालों के सहारे गंगा का पानी रिहायशी क्षेत्रों में प्रवेश कर गया है. श्मशानघाट स्थित मुक्ति धाम में भी पानी के बहाव से शव दाह के लिए जगह मिलना मुश्किल हो गया है. रामरेखाट पर बने दोनों विवाह मंडप का संपर्क भंग हो गया है. जिससे वहां स्नान करना खतरनाक हो गया है. इसी तरह सिमरी, चक्की व ब्रह्मपुर अंचल के दियारा क्षेत्रों में परेशानियां बढ गयी हैं. लाल निशान से सात सेमी अधिक है जलस्तर सीडब्लूसी की रिपोर्ट के मुताबिक सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक गंगा के जलस्तर ठहरा हुआ है. जो खतरे के निशान से 7 सेंटीमीटर ऊपर है. जलस्तर खड़ा होने के बाद अब पानी कम होने की संभावना जग गई है. मंगलवार की शाम गंगा का जलस्तर 60.28 मीटर था जो गुरुवार की शाम पांच बजे खतरे के निशान से 2 सेमी ऊपर 60.34 मीटर हो गया था जबकि गंगा का न्यूनतम जलस्तर 59.05 मीटर से बढ़ना शुरू हुआ था.
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