डुमरांव. कोरानसराय पुलिस ने एक बार फिर बिहार के क्राइम मैप पर ऐसी सूर्खियां बटोरी हैं, जिनकी गूंज उड़ीसा, बंगाल और झारखंड तक सुनायी दे रही है. गुरुवार की देर शाम यहां एक ऐसी घटना घटी, जिसने न सिर्फ स्थानीय ज्वेलरी कारोबारी को बचायी, बल्कि एक कुख्यात उचक्का सिंडिकेट की रीढ़ भी तोड़ दी. पुलिस के हाथ ऐसी सफलता लगी है, जिसे महीनों से चल रही चुनौती के बड़े समाधान के रूप में देखा जा रहा है. छाया चोर सिंडिकेट यानी वह गिरोह, जिसकी रणनीति परदे के पीछे इतनी तेज और नुकीली रही कि कई राज्यों की पुलिस उसकी परछाईं तक पकड़ नहीं पायी थी. लेकिन किस्मत और चौकसी ने मिलकर कोरानसराय में गिरोह के सरगना माइकल आकाश की कहानी को समाप्त कर दिया. कोरानसराय पुलिस ने उड़ीसा के माइकल आकाश को गिरफ्तार किया है. जिसके खिलाफ उड़ीसा, बंगाल और झारखंड में कई संगीन मामले दर्ज हैं. गुरुवार की शाम एक सेकेंड की नजर और एक सेकेंड की फिसलन ने खोल दिया पूरा राज : ज्वेलरी व्यवसायी मदन प्रसाद वर्मा अपनी दुकान बंद कर रहे थे. रोज की तरह उन्होंने काउंटर पर रुपयों व कागजात से भरा बैग रखा था. दुकान में चाबी लेने के लिए भीतर कदम भरते ही बाहर खड़ा एक युवक बिजली की तरह झपटा और बैग लेकर भाग निकला. दुकानदार की तेज निगाहों ने इस पूरी हरकत को पकड़ लिया. इधर शोरगुल, उधर भागता युवक और कुछ कदम पर खड़ी एक हाई स्पीड बाइक. भागते समय बाइक पर चढ़ते वक्त माइकल आकाश का पैर जरा सा फिसला इतना ही काफी था. दुकानदार ने पीछा किया, और संयोग से वहीं खड़ी डायल 112 की गश्ती टीम पूरे घटनाक्रम को समझते हुए आगे बढ़ आयी. भागने का पूरा प्लान उसी सेकेंड में ध्वस्त हो गया, जब बाइक स्टार्ट कर बैठा दूसरा साथी मौके की नजाकत समझकर रफ्तार बढ़ाकर गायब हो गया. थाने में खुला असली चेहरा साधारण उचक्का नहीं सिंडिकेट का किंगपिन : थाने पहुंचने के बाद जब पूछताछ की परतें खुलनी शुरू हुईं, तो पुलिसकर्मी भी दंग रह गये. जिसे वे एक साधारण चोर समझ रहे थे, वह असल में उड़ीसा के कुख्यात गुगली गिरोह का सरगना माइकल आकाश निकला. उस पर आधा दर्जन से अधिक संगीन केस दर्ज हैं. कुछ में बेल, कुछ में फरारी और कुछ में पुलिस की चकमा रणनीति. माइकल ने कबूल किया कि उसका गिरोह उड़ीसा, झारखंड, बंगाल और बिहार में कई महीनों से घूमकर वारदातें कर रहा है. उनका तरीका इतना प्रोफेशनल कि पुलिस को घटना की पिक्चर देखने तक का मौका नहीं मिलता था. गिरोह की नकली पहचान फेरीवाले, रोल-गोल्ड और दिन में मासूमियत की आड़ : पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि गिरोह के तीन सदस्य नावानगर में किराये पर कमरा लेकर रह रहे थे. उन्होंने मकान मालिक को बताया था कि वे रोल गोल्ड आभूषण बेचने का काम करते हैं. दिन में सभी सदस्य फेरीवाले बनकर मोहल्लों में घूमते, लेकिन असल मकसद होता था टारगेट की रेकी. वे ऐसे लोगों को चुनते, जो अकेले हों और जिनके पास बैग या थैला हो. गिरोह का पहला सदस्य झपटमार, दूसरा सदस्य हाइ स्पीड बाइक वाला और तीसरा सदस्य इलाके की निगरानी करता था. किराये के कमरे में मिली बाइकें और आभूषण : छापेमारी में पुलिस को दो बाइक और रोल गोल्ड के कुछ आभूषण मिले. अब पुलिस इनसे यह पता लगाने में जुटी है कि उन्होंने किन-किन इलाकों में वारदात को अंजाम दिया था और कौन-कौन इनके शिकार बने. साथ ही यह आशंका भी गहराती जा रही है कि गिरोह ने कई जिलों में कई महीनों से यही रणनीति अपनाकर एक लंबी अपराध शृंखला खड़ी कर रखी थी. क्राइम मैप पर कोरानसराय की नई कहानी मौन रहने वाले गिरोह का भंडाफोड़ : पिछले कुछ महीनों में कोरानसराय और आसपास के इलाकों में चोरी, बैग झपटमारी और छिनतई की घटनाएं बढ़ी थी. पुलिस को अंदेशा था कि इलाके में कोई संगठित गिरोह सक्रिय है. लेकिन अब जब माइकल आकाश पकड़ा गया है. पुलिस को उम्मीद है कि कई मामलों से पर्दा उठ जायेगा. इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय पुलिस अब और सतर्क हो गयी है. कोरानसराय थानाध्यक्ष माधुरी कुमारी ने बताया कि गुगली गिरोह के सरगना माइकल पर उड़ीसा के साथ ही बंगाल व झारखंड में संगीन धाराओं में छह-सात मुकदमे दर्ज है. अधिकतर में वह या तो बेल पर है या फिर फरार चल रहा था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

