buxar news : बक्सर कोर्ट. फिल्म स्टार शाहरुख खान की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. जिला उपभोक्ता आयोग ने उनके नाम हटाने के आवेदन को खारिज करते हुए सुनवाई की तिथि सुनिश्चित कर दी है. बताते चलें कि बुधवार को जिला उपभोक्ता आयोग में ऑनलाइन कोचिंग चलाने वाली संस्था बायजू, आदित्य बिरला फाइनेंस के अलावा मशहूर सिने स्टार शाहरुख खान के मामले की सुनवाई की गयी, जहां न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला उपभोक्ता आयोग वेद प्रकाश सिंह एवं राजीव कुमार की खंडपीठ ने शाहरुख खान का मुकदमे से नाम हटाने के संबंध में दाखिल किये गये आवेदन को खारिज करते हुए आगे सुनवाई की तिथि सुनिश्चित कर दी. मामला परिवाद पत्र संख्या 28/2025 से संबंधित है. बताते चलें कि परिवादी मनोज कुमार सिंह ने अपनी पुत्री के ऑनलाइन क्लास के लिए बायजू कोचिंग इंस्टिट्यूट में ऑनलाइन नामांकन कराया था, जहां उन्हें 10 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा था. कंपनी के नियमों के अनुसार पढ़ाई पसंद नहीं आने पर पैसा वापस करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन शिक्षण संस्थान ने परिवादी के पैसे को वापस लौटाने के बजाय बिरला फाइनेंस से इएमआइ के रूप में 7425 रुपये का भुगतान करा लिया. इस संबंध में परिवादी ने बार-बार कंपनियों को लिखा तथा पैसा वापस करने का निवेदन किया, लेकिन विपक्षों द्वारा लगातार सेवा में त्रुटि की गयी, जिससे परिवादी का सिविल खराब हो गया तथा समाज में उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई. उक्त मामले को लेकर परिवादी ने कुल 45 लाख 17425 रुपये एवं ब्याज के लिए जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद पत्र दाखिल किया था. यह बताना आवश्यक है कि उक्त शिक्षण संस्था के शाहरुख खान प्रचारक थे. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्ष 2019 से संशोधन करते हुए प्रचारकों को भी अधिनियम के दायरे में रखा गया है. परिवाद में शाहरुख खान ने 20 मई को अपने अधिवक्ता के माध्यम से जवाब दाखिल करते हुए लिखित रूप से यह स्वीकार किया था कि उसका बायजू शिक्षण संस्था के साथ 21 सितंबर, 2023 तक अनुबंध था, वहीं उनके द्वारा उपभोक्ता न्यायालय में 14 अगस्त, 2025 को दूसरा आवेदन दाखिल कर कहा गया है कि उक्त शिक्षण संस्था के साथ वर्ष 2021 में ही उसका अनुबंध समाप्त हो गया था. ऐसे में उनके नाम को परिवाद पत्र से हटा दिया जाये, जबकि परिवादी ने वर्ष 2022 में ही अपनी पुत्री का नामांकन ऑनलाइन शिक्षण संस्थान में कराया था. न्यायालय ने शाहरुख खान के दाखिल किये गये दोनों आवेदनों में गहरा विरोधाभास पाया है. ऐसे में आवेदन को खारिज करते हुए आगे की सुनवाई की तिथि सुनिश्चित कर दी गयी.
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