असुविधा. चिलचिलाती गरमी में टीन के शेड में काम करने को मजबूर हैं बक्सर कोर्ट के अधिवक्ता
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न्याय की आस में न्याय दिलानेवाले
असुविधा. चिलचिलाती गरमी में टीन के शेड में काम करने को मजबूर हैं बक्सर कोर्ट के अधिवक्ता शताब्दी मना चुके न्यायालय में पानी और शौचालय की भी है समस्या बक्सर : कोर्ट वैसे तो बार एसोसिएशन पटना से अधिवक्ताओं को मिलनेवाले लाइसेंस पर लिखा होता है कि अधिवक्ता न्याय के स्तंभ हैं. लेकिन, ये स्तंभ […]
शताब्दी मना चुके न्यायालय में पानी और शौचालय की भी है समस्या
बक्सर : कोर्ट वैसे तो बार एसोसिएशन पटना से अधिवक्ताओं को मिलनेवाले लाइसेंस पर लिखा होता है कि अधिवक्ता न्याय के स्तंभ हैं. लेकिन, ये स्तंभ बक्सर जिले में खुद ही न्याय की आस में हर एक दिन को गुजार रहे हैं. बक्सर व्यवहार न्यायालय में कार्यरत अधिवक्ताओं को प्रतिदिन कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है, जिसमें ज्यादा परेशान महिला अधिवक्ताओं एवं न्यायालय में आनेवाली महिला मुवक्किल को होती हैं.
वैसे तो बक्सर व्यवहार न्यायालय के पास एक बड़ा भूखंड उपलब्ध है, लेकिन आवंटित नहीं होने के चलते अब तक न तो अधिवक्ताओं को बैठने के लिए मुख्तार खाना का निर्माण शुरू हो सका है और न ही शौचालय आदि का. बताते चलें कि व्यवहार न्यायालय के उत्तरी हिस्से में नवनिर्मित लोक अदालत के भवन से लेकर डीएवी स्कूल तक लंबा भू-भाग भी नहर विभाग द्वारा व्यवहार न्यायालय को दिया गया है.
पानी एवं शौचालय की है समस्या
बक्सर व्यवहार न्यायालय में प्रतिदिन लगभग एक हजार अधिवक्ता उपस्थित होते हैं, लेकिन भीषण गरमी में पानी को लेकर ये हर दिन परेशान होते हैं. न्यायालय परिसर में जल आपूर्ति की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. चापाकल के सहारे किसी तरह से काम चलाया जा रहा है.
कई चापाकल खराब हो गये हैं तथा काम कर रहे इक्का-दुक्का चापाकलों का लेयर भी तेजी से नीचे भाग रहा है. ऐसे में अधिवक्ताओं को पानी के लिए न्यायालय परिसर के बाहर बनी दुकानों से पानी लाना पड़ता है. न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के लिए शौचालय की अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. एक शौचालय अवश्य निर्मित है, जो सभी के उपयोग के लिए है. बक्सर व्यवहार न्यायालय में महिला अधिवक्ताओं की संख्या लगभग एक दर्जन है. ऐसे में उनके लिए उक्त समस्या और विकट हो जाती है.
104 वर्ष पुराना है बक्सर का व्यवहार न्यायालय : 17 मई ,1912 को जन्मे बक्सर न्यायालय अब 104 वर्ष पुराना हो चुका है. उस समय मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात विधि वक्ता डॉ सच्चिदानंद सिन्हा उपस्थित थे. तीन अधिवक्ताओं से शुरू हुए बक्सर व्यवहार न्यायालय में आज 1670 अधिवक्ता कार्यरत हैं. अधिकतर अधिवक्ताओं के साथ यह अक्षर: लागू है कि अगर उन्हें आय का कोई सहयोगी विकल्प न हो, तो भुखमरी का सामना करना पड़ेगा. सरकारी स्तर पर अधिवक्ताओं का अब तक बीमा तक नहीं कराया गया है और न ही किसी तरह का अनुदान का प्रस्ताव भी देखा गया.
टूटी झोंपड़ियों में बैठ कर करना पड़ता है काम : व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए भवन निर्माण का शिलान्यास भी नहीं किया गया है़ अधिकतर अधिवक्ता फूस एवं टीन की झोंपड़ियों में बैठ कर काम करते हैं. कड़ाके की धूप में टीन का शेड अत्यधिक गरम हो जाता है. ऐसे में काम करनेवाले अधिवक्ताओं का हाल बेहाल हो जाता है
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