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छेड़खानी की प्राथमिकी 15 दिन बाद महिला थाने में दर्ज हुई थी

बक्सर : अधिवक्ता की मौत के बाद एक ओर जहां अधिवक्ता संघ 50 लाख रुपये मुआवजा, महिला थाने की थानाध्यक्ष का निलंबन और पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर आंदोलित है. वहीं, पुलिस की लापरवाही से पीड़ित परिवार में काफी आक्रोश है. पीड़ित परिवार और सूत्रों के अनुसार छेड़खानी […]

बक्सर : अधिवक्ता की मौत के बाद एक ओर जहां अधिवक्ता संघ 50 लाख रुपये मुआवजा, महिला थाने की थानाध्यक्ष का निलंबन और पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर आंदोलित है. वहीं, पुलिस की लापरवाही से पीड़ित परिवार में काफी आक्रोश है.

पीड़ित परिवार और सूत्रों के अनुसार छेड़खानी की घटना की प्राथमिकी लेकर अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिन्हा अपनी पत्नी और बेटी प्रियदर्शिनी के साथ 16 अक्तूबर को महिला थाने में गये थे. उस प्राथमिकी में स्पष्ट लिखा है कि छेड़खानी करनेवाले युवक ने लड़की का हाथ पकड़ कर बदतमीजी की. लड़की जब दूसरे रास्ते में दौड़ कर भागी, तो वहां भी खदेड़ कर लड़की के साथ बदसलूकी की गयी. इतना ही नहीं, बल्कि लड़की के घर के अंदर आरोपित घुस गये थे और बेल्ट से मारपीट की थी.

इतनी घटना के बाद भी महिला थाने ने प्राथमिकी दर्ज करने से पहले घटना को जांच के लिए सब इंस्पेक्टर को लगा दिया और सब इंस्पेक्टर ने भी जांच कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इस बीच अधिवक्ता ने थाने में घटना के आइओ और थानेदार को भी यह बताया कि लड़के की तरफ से धमकियां मिल रही हैं और जान को खतरा है.

एक नवंबर को महिला थानाध्यक्ष कंचन कुमारी ने आने को कहा और फिर परिजनों ने जाकर मुलाकात की, जिसके बाद महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी. इस दौरान उनसे 2500 रुपये भी वसूले गये़.

इस बीच आरोपित के दादा रामेश्वर प्रसाद सिन्हा उर्फ टीटी ने अधिवक्ता के घर जाकर रात 10.30 बजे केस हटाने की बात की. उनके साथ कई और लोग आये थे, जो देखने से ही अभद्र लगते थे. इस पर अधिवक्ता ने उन्हें कहा था कि न्यायालय में मामला निबटा लिया जायेगा.

बावजूद इसके आरोपितों ने गोली मार कर घटना को अंजाम दिया. जिस दिन अधिवक्ता के घर घटना घटी, उस दिन पीड़ित अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिन्हा के घर को चारों ओर से अपराधियों ने घेर रखा था और जब पहली गोली मिस फायर हो गयी, तो भाग कर अधिवक्ता दूसरी जगह छिप गये.

मगर हमलावरों ने वहां नजदीक से जाकर उन्हें गोली मार दी. बाद में अधिवक्ता का सात साल का बेटा शिवम कुमार पर अपराधियों की नजर पड़ी, तो उस पर भी उन्होंने गोली चला दी. यह गोली भी मिस फायर हो गयी, जिसके बाद वह दौड़ कर मसजिद में चला गया, तभी जान बची.

Prabhat Khabar Digital Desk
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