21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बैंक, डाकघर व सीएसपी कटघरे में

मनरेगा घोटाला. मजदूरों को पता नहीं और खाते से निकल गया पैसा पंचायत रोजगार सेवक की मिलीभगत से निकासी का आरोप बक्सर : मजदूरों को रोजगार कराने वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना चौसा प्रखंड में लूट-खसोट योजना बन कर रह गयी है. पवनी पंचायत में इस योजना का हाल यह […]

मनरेगा घोटाला. मजदूरों को पता नहीं और खाते से निकल गया पैसा

पंचायत रोजगार सेवक की मिलीभगत से निकासी का आरोप
बक्सर : मजदूरों को रोजगार कराने वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना चौसा प्रखंड में लूट-खसोट योजना बन कर रह गयी है. पवनी पंचायत में इस योजना का हाल यह है कि मजदूरों को पता ही नहीं कि उनके खाते में पैसा कब गया और कब निकाल लिया गया. इस योजना में लाखों रुपये के वारे-न्यारे कर लिये गये, पर सरकार और प्रशासन दोनों बेखबर बैठे हैं. जाॅब कार्ड में किस्मत तलाश रहे यह सभी मजदूर चौसा प्रखंड के पवनी पंचायत के हैं.
दरअसल इनका दर्द यह है कि वर्षों से कार्य करने बाद भी इन्हें अपनी मजदूरी का पैसा नहीं मिला और जब पैसे का दबाव मुखिया पर बनाया गया, तब काम भी मिलना बंद हो गया. सबसे आश्चर्य तो यह है कि मजदूरों को बिना जानकारी के ही उनकी राशि का उठाव भी हो गया.
कैसे होती है गड़बड़ी : दरअसल इन योजनाओं में मजदूरों की मजदूरी भुगतान के लिए बैंकों से सीधे भुगतान करने का प्रावधान है. प्रत्येक मुखिया के पास कुछ फर्जी जॉब कार्ड हैं, जिसे मास्टर रोल में भरकर पंचायत रोजगार सेवक की मिलीभगत से उनका नाम जोड़ दिया जाता है और उनके नाम पर मजदूरी का भुगतान उनके खाते में आ जाता है. यह खाता मुखिया या तो उनके शागिर्दों के ग्राहक सेवा केंद्र में होता है, जिससे इसकी जानकारी मजदूरों को नहीं होती.
क्या है पूरा मामला : पवनी पंचायत के अधिकतर मजदूरों का खाता चौसा गोला स्थित एमबीजीबी बैंक या डाकघर में है, जहां का निकासी फाॅर्म भरकर मुखिया रामभजन सिंह व उनके शागिर्दों ने मजदूरों से हस्ताक्षर करवा लिया है और उनकी मजदूरी की राशि उठा ली है. मुखिया का बैंक, डाकघर व ग्राहक सेवा केंद्र में मजबूत पकड़ है, जहां मुखिया को पैसे निकलने के लिए मजदूरों की जरूरत नहीं होती है.
आरटीआइ से हुआ खुलासा : पंचायत के स्थानीय निवासी रामाकांत प्रजापति ने एक दिन जब इंटरनेट से पंचायत के मजदूरों की सूची देखी, तो भौचक रह गये. उन्होंने पाया कि कई ऐसे भी लोग मनरेगा में मजदूरी के लिए नामित किये गये हैं, जिन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं है. इस मामले में और ज्यादा जानकारी के लिए ग्राम स्वराज संगठन के अध्यक्ष मृत्युंजय दुबे ने आरटीआइ से जवाब मांगा, तब इस मामले का खुलासा हुआ. उन्होंने इस मामले की जांच की मांग की. इसके बाद राज्य स्तर पर टीम गठित हुई. लेकिन, अधिकारियों ने भी जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की. इससे फर्जीवाड़ा करने वालों का मनोबल बढ़ता गया. अब भी इस पंचायत में सैकड़ों लोग हैं, जिन्हें काम के बाद भी मजदूरी नहीं मिली है.
धोखे से मुखिया ने हस्ताक्षर करा निकाले पैसे
पीड़ित बताते हैं कि पंचायत के सैंकड़ो मजदूर ऐसे हैं, जिनका जॉब कार्ड बना है, परंतु उन्हें पता भी नहीं है कि वे मनरेगा के मजदूर हैं. आश्चर्य तो यह है कि बिना काम किये मजदूरों का नाम कार्य के मास्टर रोल में है और उनकी मजदूरी का भुगतान भी इनके खाते में हो गया. साथ ही इनके डाकघर व बैंक के खाते से मजदूरी की राशि भी निकाल ली गयी. दरअसल मुखिया ने धोखे से कई मजदूरों से डाकघर व बैंक के कई निकासी फाॅर्म पर हस्ताक्षर करवा लिया और पदाधिकारियों की मिलीभगत से मजदूरी की राशि की निकासी कर ली. दर्जनों ऐसी शिकायतें हैं. वहीं, किसी भी योजना में प्राक्कलन व कार्य का बोर्ड नहीं लगाया जाता है, जिस कारण लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि योजना क्या है और कितनी की लागत से कार्य हो रहा है.
मनरेगा में 15 दिन काम किये थे. इनमें चार दिन पहले पैसा मिला था. मेरे नाम पर खाता भी खुल गया है और पैसे की निकासी भी हुई है. इसकी जानकारी मुझे नहीं है.
रीता देवी, मजदूर
कार्य करने के बाद कई सालों से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ. जब भी मुखिया से पैसा मांगने जाता हूं, तो मुझे झूठा तर्क दिया जाता है और चुप कर दिया जाता है.
भुटाई राम, मजदूर
मुझे जॉब कार्ड दिया गया है. बैंक में खाता खुलने पर पासबुक भी दिया गया है. परंतु, पोखरा में खुदाई का काम किये थे, जिसकी मजदूरी की राशि अब तक नहीं मिली.
रामदुलार राम, मजदूर
मनरेगा में 10 दिन तक काम किये थे, लेकिन अब तक एक रुपये भी नहीं मिले. अब तक न जॉब कार्ड मिला, न ही खाता खुला. पूछने पर मुखिया जी सही जवाब नहीं देते.
राजू राम, मजदूर
एक साल पहले मनरेगा के तहत 10 दिनों तक काम किये थे, परंतु अब तक न तो बैंक में खाता खुला और न ही पैसे मिले. जॉब कार्ड भी गांव के वीरेंद्र राम ने रख लिया है.
चांदमुनि देवी, मजदूर
मुखिया जी के कहने पर मनरेगा में एक महीना तक काम किया था, जिसका पैसा अब तक नहीं मिला. वहीं, अब तक जॉब कार्ड नहीं बना है और न ही बैंक में एकाउंट खुला है.
मोतीलाल राम, मजदूर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें