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गंगा के जल स्तर में 490 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी

डर. बारिश ने किया बेदम, प्रखंडों में अलर्ट बक्सर : दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा है. गंगा की अन्य सहायक नदियों ठोरा व काव का भी जलस्तर बढ़ गया है. इससे जिले में बाढ़ की आशंका प्रबल हो गयी है. शहर के कई इलाकों में भी बारिश […]

डर. बारिश ने किया बेदम, प्रखंडों में अलर्ट

बक्सर : दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा है. गंगा की अन्य सहायक नदियों ठोरा व काव का भी जलस्तर बढ़ गया है. इससे जिले में बाढ़ की आशंका प्रबल हो गयी है. शहर के कई इलाकों में भी बारिश के पानी से जलजमाव हो गया है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में भी जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. केंद्रीय जल आयोग के सहायक अभियंता कामख्या जी ने बताया कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गंगा के जलस्तर में 490 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गयी है. गंगा का जलस्तर जहां गुरुवार की शाम 54.800 मीटर था. वहीं, शुक्रवार को बढ़कर यह 54.970 मीटर हो गया है.
इस तरह कुल 170 सेंटीमीटर की जलवृद्धि दर्ज की गयी है. हालांकि अभी डरने की जरूरत नहीं है. क्योंकि गंगा खतरे के निशान से अभी भी पांच मीटर नीचे बह रही है. हालांकि जलस्तर प्रतिघंटे दो सेंटीमीटर बढ़ रहा है.
प्रखंडों में जारी हुआ अलर्ट : बुधवार से शुरू हुई बारिश के कारण गुरुवार की दोपहर बाद से बक्सर में गंगा का जलस्तर एक बार फिर से बढ़ना शुरू हो गया है. शुरुआती दौर में इसकी रफ्तार काफी कम थी. हालांकि, गुरुवार से इसकी रफ्तार में तेजी आ गयी है. दरअसल पिछले दिन से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण जलस्तर में वृद्धि शुरू हुई है. जलस्तर बढ़ने के कारण जिले के सभी निचले इलाकों और तटवर्ती प्रखंडों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया है. वहीं, ग्रामीण इलाके के लोगों में जलस्तर बढ़ने की रफ्तार को देखते हुए दहशत कायम है.
शहरी इलाके में विषैले जंतुओं का डर : बारिश से शहर के सार्वजनिक स्थानों जैसे बस स्टैंड, बाजार आदि का भी बुरा हाल है. इसके बावजूद नगर पर्षद की ओर से जलनिकासी के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं. पिछले दिनों नगर पर्षद की बोर्ड में पार्षदों ने बैठक कर बाढ़ आपदा प्रबंधन को लेकर तैयारियां करायी थीं, लेकिन नप अधिकारियों ने इस तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया है. अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. जलजमाव से विषैले जीव जंतुओं का खतरा भी बढ़ गया है. वहीं, घरों से बाहर निकलने में लोग कतराने लगे हैं. सबसे अधिक परेशानी छोटे बच्चों को स्कूल जाने में हो रही है. जलजमाव से शहर की करीब चार हजार की आबादी परेशान है.
बड़े नालों की उड़ाही नहीं होने से समस्या : शहर के अधिकांश वार्डों में नियमित रूप से नालियों की सफाई नहीं करायी जा रही है. नगर पर्षद की पिछली सरकार ने बरसात के पूर्व बड़े नालों के उड़ाही की योजना पर ध्यान नहीं दी. नयी सरकार बनने के बाद नालों के उड़ाही की कवायद शुरू तो हुई, लेकिन बारिश के रौद्र रूप ने सब फेल कर दिया. कई मोहल्लों के मुख्य नालों में गाद भरा पड़ा हुआ है. इसकी वजह से बारिश के पानी के निकास में परेशानी हो रही है.

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