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शहर के होनहार छात्र ने बढ़ाया जिले का मान

सौ फीसदी स्कॉलरशिप के साथ प्रवेश, विवि ने भेजा एयर टिकट बक्सर : अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत की बदौलत शहर के पांडेयपट्टी निवासी होनहार विद्यार्थी सौरभ सिंह उर्फ अंशु ने पूरे जिले का मान बढ़ाया है. उसका चयन सौ प्रतिशत स्कॉलरशिप के साथ अमेरिका के प्रख्यात कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (केलटेक यूनिवर्सिटी) के […]

सौ फीसदी स्कॉलरशिप के साथ प्रवेश, विवि ने भेजा एयर टिकट

बक्सर : अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत की बदौलत शहर के पांडेयपट्टी निवासी होनहार विद्यार्थी सौरभ सिंह उर्फ अंशु ने पूरे जिले का मान बढ़ाया है. उसका चयन सौ प्रतिशत स्कॉलरशिप के साथ अमेरिका के प्रख्यात कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (केलटेक यूनिवर्सिटी) के लिए हुआ है. अपनी इस बड़ी उपलब्धि से सौरभ ने पूरे जिले का मान बढ़ाया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसके लिए अमेरिका का एयर टिकट भी भेज दिया है.
इसी सत्र में सौरभ का चयन आइआइटी चेन्नई के लिए भी हुआ था. सौरभ ने 10वीं तक की पढ़ाई शहर के ही डीएवी स्कूल में पूरी की. उसके बाद वे आइआइटी जेइइ की कोचिंग के लिए कोटा चले गये. शुरू से ही मेधावी रहे सौरभ की इच्छा तकनीकी शिक्षा में नयी बुलंदियों को छूने की थी. अपनी इसी इच्छा को पूरी करने के लिए उन्होंने पूरी लगन से कड़ी मेहनत की, जिसका परिणाम आज सबके सामने है.
विश्व की टॉप पांच यूनिवर्सिटी है केलटेक : इस साल 20 मई को सौरभ ने आइआइटी के लिए प्रवेश परीक्षा दी थी, जिसमें उनका सेलेक्शन आइआइटी चेन्नई के लिए हुआ था. इसी बीच उन्होंने सेट (एसएटी) की परीक्षा दी. सेट की परीक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचे रैंकवाले विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए ली जाती है. इस परीक्षा में सौरभ को 1600 में से 1220 अंक प्राप्त हुए, जिसके चलते उनका चयन अमेरिका के केलटेक यूनिवर्सिटी के लिए हो गया. इस यूनिवर्सिटी को विश्व में टॉप पांच विश्वविद्यालयों में गिना जाता है. सबसे अच्छी बात यह रही कि यूनिवर्सिटी ने 100 परसेंट स्कॉलरशिप में सौरभ का चयन करते हुए उन्हें अमेरिका आने के लिए एअर टिकट भी भेज दिया है. सौरभ ने बताया कि वे सितंबर के अंतिम सप्ताह में अमेरिका जायेंगे.
परिवार का मिला सपोर्ट : सौरभ के पिता पवन सिंह व्यवसायी हैं और उनकी मां कलावती सिंह चिकित्सक हैं. मूलतः भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव निवासी सौरभ ने बताया कि उन्हें परिवार का पूरा सपोर्ट मिला. उनके सहयोग के बगैर यहां तक पहुंचना मुश्किल था. इसके अलावा उन्होंने विशेष तौर पर कोटा के युवा नैनो वैज्ञानिक आदर्श जैन को भी इस सफलता का श्रेय दिये. सौरभ ने बताया कि श्री जैन लगातार उन्हें मार्गदर्शन दे रहे थे.
सोच में लाएं बदलाव, तय करें लक्ष्य : सौरभ सिंह कहते हैं कि आज कल लोगों की सोच हो गयी है कि बच्चे अगर बचपन से ही बड़े शहरों के महंगे अंगरेजी स्कूल में पढ़ेंगे, तभी वे जिंदगी में कुछ कर पायेंगे. लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा. अगर बच्चा लायक हो और अच्छी मेहनत कर पढ़ाई करे, तो वह छोटी जगह के हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़कर भी अपना भविष्य बना सकता है. उन्होंने लक्ष्य तय कर पढ़ाई करने पर जोर दिया. इसलिए सफलता हाथ आयी.

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